यहां दसमुखी नाग पर विराजित हैं महाकाल, साल में 1 बार होते हैं प्रकट, दूर करते हैं सभी कष्ट

भारत एक ऐसा देश है जहां कई तरह के देवी और देवता की पूजा होती है। इसमें नागदेवता भी शामिल है। यहां सांपों को पूजनीय माना जाता है। खासकर नाग पंचमी के दिन इनकी विशेष पूजा होती है। देशभर में वैसे तो नागदेवता के कई मंदिर हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो स्वयं महाकाल के ऊपर स्थित है। इस मंदिर में दसमुखी नागदेवता रहते हैं। इनके ऊपर शिवजी का पूरा परिवार विराजित रहता है। इस मंदिर के द्वार सिर्फ साल में एक बार ही खुलते हैं।
साल में सिर्फ एक बार खुलता है नागचंद्रेश्वर मंदिर
‘नागचंद्रेश्वर मंदि’ (Nagchandreshwar Temple) मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। यह मंदिर महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है। यहां रखी भगवान नागचंद्रेश्वर की मूर्ति 11वीं शताब्दी बताई जाती है। इसे तब विशेष रूप से नेपाल से मँगवाया गया था। इस मंदिर का निर्माण 1050 ईस्वी में परमार राजा भोज कराया था। बाद में साल 1732 सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था।
वर्ष में एक बार होने वाले भगवान श्री नागचंद्रेश्वर जी के दर्शन।
हर हर महादेव। pic.twitter.com/iHMZR2CBfs
— सुरेश कुमार खन्ना (@SureshKKhanna) August 2, 2022
यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है जहां शिवजी अपने सम्पूर्ण परिवार संग दशमुखी सर्प पर विराजित हैं। दरअसल इस मंदिर में जो नागदेव की दशमुखी मूर्ति है उस पर भगवान शिव और मां पार्वती विराजित हैं। यह मंदिर सिर्फ साल में एक बार नाग पंचमी के दिन खोला जाता है। तब इस मंदिर के कपाट 24 घंटे के लिए खोल दिए जाते हैं। इस कारण हर साल नाग पंचमी पर यहां भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। श्रद्धालुओं को यहां सिर्फ साल में एक बार 24 घंटे के लिए ही नागचंद्रेश्वर के दर्शन मिल पाते हैं।
ये है मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
अब आपके मन में ये सवाल जरूर आया होगा कि इस मंदिर के द्वारा साल में सिर्फ एक ही बार क्यों खोले जाते हैं? दरअसल इसके पीछे भी एक दिलचस्प पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार नागों के राजा तक्षक ने एक बार भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी। शिवजी इस तपस्या से इतने खुश हुए कि उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दे दिया।
कहा जाता है कि वरदान मिलने के बाद तक्षक राजा ने प्रभु के सानिध्य में रहना शुरू कर दिया। हालांकि महाकाल की वन में वास करने से पहले एक इच्छा थी कि उन्हें अपने एकांत में किसी भी प्रकार का विघ्न ना हो। ऐसे में यहां से परंपरा शुरू हो गई कि मंदिर के द्वारा सिर्फ साल में एक बार खोले जाएंगे। बाकी समय एकांत को ध्यान में रखते हुए द्वार बंद रहेंगे।
मंदिर को लेकर एक मान्यता ये भी है कि यदि आपकी कुंडली में सर्प दोष हैं तो आप नाग पंचमी के दिन इस मंदिर में आकार माथा टेक दें। इससे आपके सभी तरह के सर्प दोष दूर हो जाएंगे।