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7 साल जेल में रहा IPS, बाहर आते ही उड़ाई अपराधियों-रिश्वतखोरों की नींद, लोग कहते हैं असली सिंघम

कुछ लोग पुलिस डिपार्टमेंट सरकारी नौकरी और अच्छी सैलरी के चक्कर में ज्वाइन कर लेते हैं। लेकिन कुछ देश की सेवा करने के लिए पुलिस फोर्स ज्वाइन करते हैं। उनके अंदर अपराधियों को खत्म करने का एक अलग ही जुनून सवार रहता है। राजस्थान पुलिस में भी एक ऐसा ही आईपीएस है जिसे लोग असल सिंघम के नाम से भी जानते हैं। इस आईपीएस का नाम है दिनेश एमएन।

सात साल जेल में रहा आईपीएस

आईपीएस दिनेश एमएन सात साल जेल में रहे। वे सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर मामले में गिरफ्तार हुए थे। लेकिन जेल में रहते हुए भी उनका जोश कम नहीं हुआ। वह जब जेल से बाहर आए तो फिर से पुलिस फोर्स ज्वाइन की। अपनी मेहनत और ईमानदारी की बदौलत उनका प्रमोशन भी हुआ। आज हर भ्रष्ट आदमी और अपराधी उनसे खौफ खाता है।

कई जिलों में एसपी रह चुके दिनेश एमएन कर्नाटक के रहने वाले हैं। वह साल 1995 बैच के आईपीएस हैं। उनका अपराधियों के बीच ऐसा खौफ था कि उनका नाम सुनते ही वे थर-थर कांपने लगते थे। आलं ये था कि उनके दर से कई अपराधी जिला छोड़ भाग जाते थे। जैसे साल 1998 में अपनी पहली दौसा जिले की पोस्टिंग में उन्होंने बदमाशों की ऐसी धुनाई की कि वह दौसा छोड़कर नौ दो ग्यारह हो गए।

दिनेश एमएन जयपुर में गांधी नगर सर्किल के एएसपी भी रहे। यहां राजस्थान विश्वविद्यालय में राजनैतिक संरक्षण की वजह से बहुत  गुंडागर्दी होती थी। दिनेश ने यूनिवर्सिटी के नेताओं को ऐसा सबक सिखाया कि आज भी वहाँ लोग उनके नाम से खौफ खाते हैं। साल 2000 से 2002 में दिनेश करौली के एसपी थे। यहां उन्होंने दो साल में बीहड़ के जंगलों के सभी डकैतों का नामोनिशान मिटा दिया।

फर्जी एनकाउंटर में हुए था अंदर

दिनेश एमएन की लाइफ में बड़ा बदलाव तब आया जब वे साल 2005 में उदयपुर जिले के एसपी बने। यहां राजस्थान पुलिस और गुजरात पुलिस ने ज्वॉइंट ऑपरेशन में सोहराबुद्दीन को एनकाउंटर में मार दिया। लेकिन इस एनकाउंटर को फर्जी बताया गया और कई पुलिस अफसरों पर केस दर्ज हुए। इसमें आईपीएस दिनेश एमएन समेत कई अधिकारियों को जेल की हवा खानी पड़ी।

हालांकि सोहराबुद्दीन एनकाउंटर की सीबीआई जांच के बाद दिनेश एमएन सहित सभी को बरी कर दिया गया। दिनेश 2014 में वे जमानत पर बाहर आए थे। वहीं 2017 में उन्होंने फिर से सर्विस ज्वाइन कर ली। 7 साल जेल में बंद रहने के बावजूद उनकी ईमानदारी और जोश कम नहीं हुआ। वे अपराधियों और करप्शन के खिलाफ आवाज उठाते रहे। पुलिस सेवा में आते ही उन्हें प्रमोशन मिला और वे आईजी बन गए। वह एंटी करप्शन ब्यूरो में आए तो सभी रिश्वतखोरों की रातों की नींद उड़ गई।

जेल से बाहर आते ही उड़ाई अपराधियों की नींद

साल 2017 में जब दिनेश एसओजी आईजी बने तो उन्हें राजस्थान पुलिस की नाक में दम करने वाले गैंगस्टर आनंदपाल सिंह का केस दिया गया। दिनेश ने एक स्पेशल टीम बनाई और आनन्दपाल सिंह को घेर लिया। यहां वह उसे गिरफ्तार करने गए थे, लेकिन आनन्दपाल सिंह ने फायरिंग शुरू कर दी। ऐसे में पुलिस ने जवाबी फायरिंग कर आनन्दपाल सिंह को मार गिराया।

दिनेश जब एंटी करप्शन ब्यूरो में आए तो उन्होंने  वरिष्ठ आईएएस और खान विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव अशोक सिंघवी को ढाई करोड़ रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। इसके बाद उन्होंने कई और आईएएस और आईपीएस अफसरों को रिश्वत के लिए जेल की हवा खिलाई। यहां तक कि रिश्वत लेने के मामलों में पहली बार जिला एसपी और कलेक्टर को भी गिरफ्तार कर जेल में ठूस दिया।

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