अजब ग़जब

कभी प्रोफेसर कभी कुली: दिन में बनाता बच्चों का भविष्य, रात को उठाता यात्रियों का सामान,जाने वजह

कहते हैं कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। आपको बस हर काम ईमानदारी और लगन के साथ करना है। लेकिन जब कोई बड़ा और इज्जतदार काम करता है तो उसे छोटे मोटे काम करने में शर्म आती है। जो कि गलत है। हर काम की हमे इज्जत करनी चाहिए। अब ओडिशा के गंजम जिले के रहने वाले इस शख्स को ही देख लीजिए। यह दिन में प्रोफेसर बन जाता है तो रात में कूली का काम करता है।

दिन में प्रोफेसर रात को कुली बन जाता है ये शख्स

नागेशु पात्रा ओडिशा के गंजम जिले में रहते हैं। वह गंजम के ही एक निजी कॉलेज में गेस्ट प्रोफेसर हैं। इसके अलावा वे गरीब बच्चों को मुफ़्त में कोचिंग भी पढ़ाते हैं। जैसे ही रात होती है वे टीचर से कूली बन जाते हैं। फिर यहां स्टेशन पर लोगों का सामान ढोते हैं। टीचर और कूली, इन दोनों ही प्रोफेशन का कोई तालमेल नहीं है। इनमें जमीन आसमान का अंतर है। लेकिन फिर नागेशु ये दोनों काम क्यों करते हैं? वजह आपको भावुक कर देगी।

दरअसल नागेशु को कॉलेज में गेस्ट प्रोफेसर होने के नाते पर्याप्त पैसा नहीं मिल पाता है। उन्हें हर कक्षा के मात्र 200 रुपए मिलते हैं। इससे उन्हें अपनी जीविका चलाने में कठिनाई आती है। इसलिए वह नजदीकी रेलवे स्टेशन पर रात में कुली बनकर रेलवे यात्रियों की सेवा करते हैं। कूली बनकर उन्हें महीने के 12-13 हजार रुपए मिल जाते हैं। वह 2011 से कुली के रूप में रजिस्टर्ड हैं।

कमाई का बड़ा हिस्सा गरीब बच्चों पर करता है खर्च

नागेशु पोस्ट ग्रेजुएट हैं। वह कूली का काम कर मिलने वाले पैसों से गरीब बच्चों की मदद करते हैं। उनकी कमाई का अधिकतर हिस्सा इन बच्चों की पढ़ाई लिखाई में जाता है। उन्होंने इन बच्चों को पढ़ाने के लिए कुछ टीचर रखे हुए हैं। वहीं वह खुद भी कॉलेज और कूली के काम के बीच समय निकालकर बच्चों को पढ़ाते हैं।

नागेशु बताते हैं कि कोरोना महामारी के बाद से उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है। इसलिए वह एक साथ कई तरह के काम कर लेते हैं। वे जीवन में शिक्षा के महत्व को समझते हैं। इसलिए अपनी कमाई का एक हिस्सा गरीब बच्चों को पढ़ाने लिखाने में खर्च कर देते हैं।

सोशल मीडिया पर जब इस टीचर की कहानी वायरल हुई तो लोग भावुक हो उठे। वह नागेशु की तारीफ करने लगे। आज के जमाने में हर कोई सिर्फ अपने बारे में ही सोचता है। दूसरों के लिए कुछ नहीं करता है। ऐसे में नागेशु ने खराब आर्थिक स्थिति होने के बावजूद गरीब बच्चों का भविष्य बर्बाद नहीं होने दिया। वह समाज के लिए प्रेरणा है।

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