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सुनने की शक्ति खोई लेकिन सौम्या ने नहीं मानी हार, पहले प्रयास में 23 की उम्र में बनीं IAS ऑफिसर

आजकल के समय में देखा गया है कि हर नौजवान आईएएस अधिकारी बनने का सपना देखता है। UPSC या सिविल सर्विसेज एग्जाम को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। अपने मन में सपना संजोए हर साल हजारों लोग इस परीक्षा की तैयारी करते हैं परंतु सभी को सफलता नहीं मिल पाती है। कुछ एक ही होते हैं जो आईएएस अधिकारी बन पाते हैं। इस परीक्षा की तैयारी करते समय अच्छे अच्छे लोगों के हाथ पांव फूल जाते हैं।

भले ही UPSC की परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षा है परंतु सबसे बड़ी परीक्षा जीवन की होती है क्योंकि आपको ना तो तैयारी का मौका मिलता है और ना ही सेकंड और थर्ड आने का कोई विकल्प होता है। अगर आप अपने जीवन की परीक्षा में पास हो जाएं तो यूपीएससी आपके लिए मात्र एक कदम बढ़ाने जैसा आसान पड़ाव होता है।

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से एक ऐसी लड़की की कहानी बताने वाले हैं जो जीवन की इसी परीक्षा में ना केवल पास हुई, बल्कि टॉप भी किया है। दरअसल, आज हम आपको जिस लड़की की कहानी के बारे में बताने वाले हैं वह आईएएस सौम्या शर्मा हैं।

आईएएस सौम्या शर्मा को महज 16 वर्ष की आयु में ही एक तगड़ा झटका लगा। उन्होंने कुछ ऐसा खो दिया जो हर किसी के जीवन का अहम हिस्सा होता है परंतु सौम्या ने कभी भी अपने जीवन में हार नहीं मानी और ना ही अपनी इस कमी को बनाकर रखा।

सौम्या शर्मा लगातार आगे बढ़ती रहीं। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने प्रशासनिक सेवा में जाने का निर्णय ले लिया। इसी बीच उन्हें बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा परंतु हर कठिनाई का डटकर मुकाबला करती गईं और आखिर में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा 2017 में ऑल इंडिया 9वीं रैंक हासिल कर ली।

जानिए कौन हैं सौम्या शर्मा

आपको बता दें कि यूपीएससी परीक्षा 2017 में पहले ही प्रयास में 9वीं रैंक लाकर टॉप करने वाली सौम्या शर्मा राजधानी दिल्ली की रहने वाली हैं। सौम्या के माता-पिता दोनों पेशे से डॉक्टर हैं। उनकी शुरुआती शिक्षा भी दिल्ली से ही हुई। सौम्या अपने स्कूल के दिनों से ही एक इंटेलीजेंट स्टूडेंट रही हैं। उन्होंने 10वीं क्लास में भी टॉप किया था।

वहीं सौम्या ने दिल्ली के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से एलएलबी पूरी की। जब सौम्या लाॅ के आखिरी वर्ष में थीं, तब उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में शामिल होने का निर्णय ले लिया परंतु उनके लिए यह सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था। सौम्या शर्मा के रास्ते में बहुत सी मुश्किलें थीं लेकिन इसके बावजूद भी उनका हौसला मजबूत था।

सौम्या ने कॉलेज के दिनों से ही यूपीएससी की तैयारी शुरू की थी। साल 2017 में यूपीएससी सिविल सेवा की तैयारी शुरू की और उसी साल सौम्या ने यूपीएससी प्रीलिम्स और यूपीएससी मेन्स परीक्षा दी।

सौम्या के पास नहीं है सुनने की शक्ति

आपको बता दें कि सौम्या सुन नहीं सकतीं। जब सौम्या की उम्र 16 साल की थी तो अचानक उन्होंने अपने सुनने की क्षमता खो दी थी और उन्हें सुनने वाली मशीन का सहारा लेना पड़ा। लेकिन उन्होंने कभी इस बात को अपनी कमी नहीं बनने दिया।

सौम्या के लिए यह बहुत कठिन दौर था। सौम्या के लिए सब कुछ काफी कठिन हो गया था परंतु उन्होंने हर परेशानी का सामना किया। सुनने में असक्षम सौम्या को विकलांग व्यक्ति की श्रेणी में शामिल किया गया परंतु उन्होंने विकलांग कोटा के तहत यूपीएससी सिविल सेवा के फॉर्म को भरने से मना कर दिया और उन्होंने जनरल कैटेगरी का विकल्प चुना।

तेज बुखार में दिया यूपीएससी परीक्षा

सौम्या के लिए अपने लक्ष्य को हासिल करना बहुत कठिन था परंतु उनके मजबूत हौसलों के आगे कोई भी कठिनाई छोटी पड़ रही थी। इस शारीरिक बाधा को पार करते हुए सौम्या ने 23 साल की उम्र में बिना किसी कोचिंग के सिविल सेवा की परीक्षा दी। सौम्या 102 वायरल बुखार से पीड़ित होने के दौरान यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा दी थी। उनके अनुसार यूपीएससी परीक्षा को क्रैक करना किसी भी अन्य परीक्षा को क्रैक करने जैसा था, जहां आपको सभी की उचित योजना और अच्छी रणनीति की जरूरत होती है।

सौम्या शर्मा ने हासिल की यूपीएससी में 9वीं रैंक

सौम्या शुरू से ही इंटेलीजेंट स्टूडेंट रही हैं। उनको करंट अफेयर में शुरू से ही रुचि ]रही है। सौम्या ने अपने दृढ़ निश्चय से पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने टॉप टेन में अपनी जगह भी बनाई। उन्होंने बिना कोचिंग लिए इसकी पढ़ाई की और ऑल इंडिया में सौम्या शर्मा ने 9वीं रैंक हासिल की और आईएएस अधिकारी बन गईं। वर्तमान समय में सौम्या की साउथ वेस्ट दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट के अंतर्गत बतौर असिस्टेंट कमिश्नर ट्रेनिंग चल रही है।

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