बेटे की मौत के बाद उदास रहती थी विधवा बहू, ससुर बना फरिश्ता, फिर पहनाया शादी का जोड़ा

कहते हैं एक बहू कभी बेटी नहीं बन सकती। लेकिन मुरैना के ग्राम महासुख के पुरा अंबाह शहर के लेन रोड निवासी बीएसएफ के सेवानिवृत्त सब इंस्पेक्टर प्रमोद सिंह तोमर ने इस बात को गलत साबित कर दिया। उन्होंने अपनी विधवा बहू टीनू तोमर का पुनर्विवाह करवाकर समाज के सभी बंधन तोड़ दिए। दुनिया के सामने एक अच्छी मिसाल पेश की।
ससुर ने की विधवा बहू की शादी
दोबारा दुल्हन बनी टीनू की शादी 20 फरवरी 2015 को प्रमोद और पुष्पा तोमर के इकलौते बेटे सॉफ्टवेयर इंजीनियर भूपेंद्र सिंह उर्फ गुड्डू से हुई थी। हालांकि 20 अक्टूबर 2020 को दिल का दौरा पड़ने से गुड्डू का निधन हो गया। 24 साल की उम्र में ही टीनू विधवा हो गई। पति को खोने के बाद वह उदास रहने लगी।
बहू को यूं उदास देखकर ससुर का दिल भर आया। उन्होंने अपने छोटे भाई के 25 वर्षीय बेटे श्याम से बहू की शादी की बात छेड़ दी। शुरुआत में बहू ने शादी से इनकार किया। लेकिन फिर ससुर ने समझाया कि जीवन बहुत बड़ा है। अकेले जिंदगी नहीं कटती है। फिर बहू तो मान गई लेकिन समाज के ठेकेदार ताने मारने लगे। कोई बोला आप अनर्थ कर रहे हैं तो किसी ने कहा ये ठीक नहीं है।
तोड़ी समाज की कुप्रथा, दिया नेक संदेश
हालांकि ससुर ने समाज को परवाह नहीं की। उन्हें लोग क्या कहेंगे से ज्यादा फिक्र अपनी उदास विधवा बहू की थी। इसलिए उन्होंने अपनी रिश्तेदारी में ही बहू का रिश्ता तय कर दिया। वह हमेशा से बहू को बेटी मानते आए। यह शादी बीते मंगलवार संपन्न हुई। शादी का पूरा खर्चा सास ससुर ने उठाया। कन्यादान बुआ और फूफा ने किया। दरअसल टीनू के पिता और भाई इस दुनिया में नहीं हैं।
ससुर ने बहू की शादी में कोई कंजूसी नहीं की। ये शादी पूरी धूमधाम से हुई। दूल्हा एक निजी कंपनी में जॉब करता है। यह शादी अब चर्चा का विषय बनी हुई है। हर कोई ससुर की इस पहल को तारीफ कर रहा है। उन्होंने विधवा का पुनर्विवाह ना करने की कुप्रथा को समाप्त कर नेक काम किया है। इससे समाज को एक अच्छा संदेश जाएगा।
पिता से कम नहीं मेरे ससुर
बहू टीनू ने कहा की मेरे ससुर पिता से कम नहीं हैं। उन्होंने आज जो कुछ भी किया वह समाज में अच्छे संदेश के रूप में जाएगा। उम्मीद है कि इससे बेटी और बहू में अंतर खत्म हो जाएगा। वहीं ससुर ने कहा कि बहू का दोबारा विवाह करवाकर उनकी आत्मा तृप्त हो गई। उनके दिल को अब इस बात का सुकून है कि बहू का घर दोबारा बस गया। वह अब आजीवन खुश रहेगी।