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10000 KM दूर से आया ऑस्ट्रेलिया का दूल्हा, साइकिल सुधारने वाले की बेटी से की शादी, जाने वजह

कहते हैं प्यार की कोई सीमा नहीं होती है। यह आपको कभी भी, कहीं भी और किसी से भी हो सकता है। जब दो दिल आपस में मिलते हैं तो सरहदों और जात-पात का बंधन भी भूल जाते हैं। अब मध्य प्रदेश के धार जिले के मनावर में हुई इस अनोखी शादी को ही देख लीजिए। यहां दूल्हा ऑस्ट्रेलिया का था तो दुल्हन मनावर में साईकिल रिपेयर करने वाले की बेटी थी।

ऑस्ट्रेलिया के दूल्हे ने की मनावर की बेटी से शादी

दुल्हन तबस्सुम हुसैन मूल रूप से मनावर की रहने वाली हैं। उनके पिता की बस स्टैन्ड पर छोटी सी साइकिल रिपेयरिंग की दुकान है। वहीं दूल्हा ऐश हॉन्सचाईल्ड ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में रहता है। वह करीब दस हजार किलोमीटर का सफर कर यहां शादी करने आया था। यह शादी 18 दिसंबर को मनावर में ही भारतीय रीति रिवाजों से सम्पन्न हुई। शादी में दूल्हे की मां जेनिफर पैरी भी आई थी।

जब एक विदेशी दूल्हा मनावर की सड़क पर बारात लेकर निकला तो हर कोई देखता रह गया। दुल्हन के पिता सादिक हुसैन पूरी बारात दूल्हे का घोड़ा पकड़कर चलते रहे। वहीं दुल्हन के रिश्तेदारों ने शादी में खूब डांस किया। वहीं दुल्हन की मां जुलुखा हुसैन के खुशी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। दुल्हन की दो बहने और दो भाई भी हैं। बहनों की शादी हो चुकी है। ये सभी भी शादी में बड़े खुश दिखाई दिए।

दूल्हे ऐश ने बताया कि उन्हें भारत बहुत पसंद आया। ये काफी जिंदादिल, रंग भरा और सबसे खूबसूरत देश है। यह उनकी भारत में दूसरी यात्रा है। उन्हें भारत का खानपान भी पसंद आया। खासकर निमाड़ के पोहे जलेबी और डाल बाफले सबसे अच्छे लगे। उन्हें ये बात भी पसंद आई कि यहां शादी की तैयारी सभी रिश्तेदार मिलकर करते हैं। जबकि विदेश में उन्हें ये अकेले ही करनी पड़ती है।

ऐसे शुरू हुई लव स्टोरी

बताते चलें कि तबस्सुम और ऐश इसके पहले ऑस्ट्रेलिया में 2 अगस्त को कोर्ट मैरिज कर चुके थे। लेकिन उनकी इच्छा भारत में भी यहां के तौर तरीकों से शादी करने की थी। खासकर दूल्हे ऐश को भारत के लोगों की मेजबानी खूब पसंद आई। तबस्सुम और ऐश की लव स्टोरी भी काफी दिलचस्प है। दोनों एक ही कॉलेज में पढ़े हैं। इसी दौरान उन्हें प्यार हो गया।

दुल्हन के पिता बताते हैं कि उनकी बेटी को मप्र सरकार से साल 2016 में उच्च शिक्षा अध्ययन के लिए 45 लाख रुपए की स्कॉलरशिप मिली थी। फिर 2017 में वह पढ़ने के लिए ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन चली गई थी। यहां साल 2020 में तबस्सुम को जर्मनी की एक कंपनी से स्कॉलरशिप के रूप में करीब 74 लाख रुपए मिले। वर्तमान में तबस्सुम इसी कंपनी में बतौर सीनियर मैनेजर काम कर रही हैं।

ऐश और तबस्सुम ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि वह दोनों रिटायरमेंट के बाद भारत में ही रहना चाहते हैं। यहां वे खेती करेंगे और बकरी पालेंगे। फिलहाल दोनों विदेश में पीएचडी कर रहे हैं। पढ़ाई पूरी होते ही वह दोनों 2 साल के लिए एक ट्रेनिंग के सिलसिले में बेंगलुरु भी रहेंगे।

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