अजब ग़जब

दुनिया की इकलौती जगह जहां नहीं पहुंच सका कोरोना, जी हाँ! भारत में ही है वो जगह

कोरोना वायरस महामारी ने बीते दो सालों से दुनियाभर में अपना प्रकोप दिखाया है। दुनिया में करोड़ों लोग ये महामारी निगल गई। लोगों को महीनों तक अपने घरों में कैद करने वाली इस महामारी ने दुनियाभर में आतंक मचा रखा है। कई देशों में तो इस महामारी की चार पांच से भी ज्यादा लहर आ चुकी है। जबकि बात भारत की करते तो यहां भी लोगों को कोरोना की तीसरी लहर से अभी अभी शांति मिली है।

जब आप दुनिया में फैली इस महामारी की तस्वीरे देखते हो तो शायद ही कोई ऐसा देश दिखाई देता हो, जहां इस महामारी से कोई तबाही ना मची हो। आप भी यहीं सोचते होंगे कि इस दुनिया के ऐसा कोई हिस्सा बचा ही नहीं होगा जहां इस महामारी के कदम ना पड़े हो, लेकिन ऐसा नहीं है।

भारत में ही हैं ये जगह

इस दुनिया में एक जगह ऐसी भी है जहां इस कोरोना महामारी का साया भी नहीं पड़ पाया। जी हां कई रिपोर्ट्स में दावा भी किया गया है कि इस जगह पर कोरोना वायरस का एक भी मरीज नहीं मिला है। तो आइए आपको इस जगह के बारे में जरा डिटेल में ही बता देते हैं। असल में यह जगह कही और नहीं बल्कि हमारे अपने देश भारत में ही है।

अब आप सोच रहे होंगे ऐसा कैसे हो सकता है। भला भारत में तो कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। ऐसे में भारत की ऐसी कौन सी जगह इस महामारी नजरों से चुंक गई। असल में भारत के अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में ही यह जगह है जहां कोरोना महामारी अपने पैर नहीं पसार पाई है।

इस आइलेंड पर इंसानों पहुंचना भी मुश्किल

जी हां ये सच है यह इकलौती ऐसी जगह है जहां कोरोना के किसी भी वैरिएंट का कोई मरीज नहीं पाया गया है। हालांकि अंडमान निकोबार की यह जगह ऐसी जगह है, जहां कोई इंसान भी आसानी से नहीं जा सकता। ऐसे में इस महामारी का यहां पहुंचना मुश्किल ही हैै। इस जगह का नाम सेंटिनल द्वीप बताया जा रहा है।

यह द्वीप अंडमान-निकोबार के उत्तर क्षेत्र में है। एक खास रिपार्ट के मुताबिक इस द्वीप पर यहां के स्थानीय जनजाति के अलावा कोई दूसरा समुदाय नहीं रहता है। रिपोर्ट के मुताबिक इस द्वीप पर जाना खतरे से खाली नहीं है। यहां एक बहुत ही खतरनाक जनजाति के लोग निवास करते हैं।

60 सालों से रह रही ये जनजाति

बताया जाता हैै कि यह लोग 60 हजार सालों से भी ज्यादा समय से इस द्वीप पर निवास कर रहे हैं। इस जनजाति के लोग यहां अपनी पुरानी जीवन शैली के मुताबिक ही जीवन जीते है। से लोग ना तो भारत और ना ही दुनिया के किसी औैर देश से किसी तरह का कोई संपर्क रखते हैं।

जब यहां से कोई ना तो बाहर जाता है और ना ही इस द्वीप पर बाहर कोई इंसान आ सकता हैै। ऐसे में यहां कोरोना का मरीज मिलने की भी संभावना नहीं रहती है। दूर दराज कोई इंसान यहां हवाई जहाज या किसी ओर जरीए से आने की कोशिश भी करे तो ये लोग उसे भी मार देते हैं। इस द्वीप के लोग आसमान में नीचे उड़ने वाले हवाई जहाज या हैलिकॉप्टर का स्वागत तीरों, पत्थरों या आग के गोलों से करते हैं।

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