
एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति की लिस्ट में शामिल मशहूर बिजनेसमैन गौतम अडानी को भला कौन नहीं जानता। गौतम अडानी ने ये मौकाम हासिल करने के लिए कई मुसीबतें का सामना किया है. अब इसी बीच गौतम अडानी इंडिया टीवी के कार्यक्रम “आप की अदालत” में पहुंचे जहां पर उन्होंने अपनी जिंदगी में आए हुए संघर्ष और बिजनेस में सफलता हासिल करने का अनुभव साझा किया। उन्होंने अपने दर्शकों और चाहने वालों को यह भी बताया कि किस तरह से उन्होंने यह मुकाम हासिल किया? तो चलिए हम भी जान लेते हैं गौतम अडानी की कामयाबी का फार्मूला क्या है?
गौतम अडानी के जीवन में आई ये रुकावटें
आप की अदालत में बातचीत करते हुए गौतम अदानी ने कहा कि, “पैसा कमाने का कोई फॉर्मूला नहीं होता। बिजनेस या प्रैक्टिकल लाइफ में एक ही फॉर्मूला काम करता है- मेहनत, मेहनत और मेहनत.. फिर मुझे मेरे परिवार, मेरी टीम का साथ और परमात्मा का आशीर्वाद भी मिला। मेरा एक ही उद्देश्य है कि देश की तरक्की हो।”
आगे उन्होंने कहा कि, “मैं 15 साल का था, 10वीं कक्षा पास की थी। परिवार की परिस्थितियां ऐसी थीं कि पढ़ाई पूरी किए बिना ही मैं मुंबई निकल गया। मुंबई में मैं चार साल रहा, इसके बाद मैं वापस अहमदाबाद आ गया। मुंबई ने मुझे बहुत कुछ सिखाया, वहां मैंने मेहनत करना सीखा। इसके बाद मेरी बिजनेस की नींव शुरू हुई।
पढ़ाई बेहद ज़रूरी है। अगर पढ़ा होता, तो शायद आज के गौतम अडानी से भी बेहतर होता। मुझे लगता है कि मेरी जिंदगी में अलग-अलग टाइम पर बहुत से लोगों ने सपोर्ट किया है। मेरा मानना है कि पढ़ाई बहुत जरूरी है, ये इंसान को नॉलेजेबल बनाती है। उन्होंने कहा कि, हमारी मिडल क्लास बिजनेस फैमिली थी।
एक उत्साह था। एक 19 साल का लड़का अपने फैमिली के बिजनेस के अलावा कुछ अलग बिजनेस करने की तमन्ना रखता था। मेरे परिवार ने भी बहुत सपोर्ट किया। मैं पढ़ाई में बहुत होशियार था। ऐसे संयोग बने कि मैंने कहा कि पढ़ाई को बाद में देखेंगे और बिजनेस के रास्ते पर चल पड़ा।”
CM मोदी से मिली मदद?
इस दौरान शो के होस्ट रजत शर्मा ने गौतम अडानी से पूछा कि, गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी से उन्हें क्या मदद मिली? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि, “मुझे जीवन में तीन बड़े ब्रेक मिले। पहला ब्रेक मिला 1985 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे और नई आयात-निर्यात नीति आई, हमारी कंपनी एक ग्लोबल ट्रेडिंग हाउस बनी। दूसरा ब्रेक 1991 में मिला, जब पी. वी. नरसिम्हा राव और डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार के समय हम पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप कर सके।
इससे देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर को नई दिशा मिली। नरेंद्र मोदी जब 12 साल मुख्यमंत्री थे, उस समय एक अच्छा अनुभव रहा, लेकिन मैं ये बताना चाहता हूं कि मोदी जी से आप कोई व्यक्तिगत सहायता नहीं ले सकते। आप उनसे नीति विषयक बात कर सकते हैं, आप देश के हित में चर्चा कर सकते हैं, जो नीति बनती है, वह सबके लिए होती है. वो अकेले अडानी ग्रुप के लिए नहीं बनती।”
20 साल की उम्र में शुरू किया बिजेनस
बता दें, गौतम अडानी का जन्म गुजरात के अहमदाबाद में हुआ। 24 जून 1962 को जन्मे गौतम अपने परिवार में छह भाई बहन है। बचपन से ही गौतम अडानी के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। ऐसे में उन्होंने बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी, इसके बाद वह मुंबई आ गए थे यहां पर उन्होंने दिन-रात मेहनत की।
इसके बाद उन्होंने 20 साल की उम्र में हीरे का ब्रोकरेज आउटफिट खोल लिया जिसके बाद उनका बिजनेस धीरे धीरे चल निकला। इसके बाद उन्होंने साल 1988 में एक्सपोर्ट लिमिटेड की नींव रखी। इसके बाद वह धीरे-धीरे सफल होने लगे और फिर उन्होंने कई कारोबार में हाथ आजमाए जिसमें उन्हें अपार सफलता हासिल हुई। वर्तमान में वह एशिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन की लिस्ट में शामिल है।