अजब ग़जब

बाहर के राज्यों से खरीद कर लाई बहुओं ने बदल कर रख दी हरियाणा की गृहस्थी, ऐसा है रहन-सहन

हरियाणा राज्य में लिंगानुपात में काफी अंतर है और इस राज्य में आदमियों के मुकाबले महिलाओं की संख्या काफी कम है। लिंगानुपात में होने वाले इस अंतर के कारण ही हरियाणा में लड़कियों का अकाल पड़ गया है और यहां के युवा कुंवारे रह रहे हैं। इस समस्या का हल निकालते हुए दूसरे राज्यों से लड़कियां खरीदकर, यहां लाई जाती हैं और उनको घर की बहु बनाया जाता है। ताकि वंश बढ़ सके। एक सर्व के अनुसार इस समय हरियाणा राज्य में एक लाख 35 हजार लड़कियां ऐसी हैं महिलाओं हैं, जिन्हें पश्चिम बंगाल, असम, केरल, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड से खरीदकर लाया गया है। इन महिलाओं का विवाह यहां किया गया है और इन एक लाख 35 हजार महिलाओं में से अब तो कई उम्र दराज भी हो गई है।

इस वजह से कम हुआ लिंगानुपात

हरियाणा राज्य में लड़कियों को जन्म लेने से पहले या जन्म के समय मार दिया जाता था। जिसकी वजह से धीरे-धीरे इस राज्य में लिंगानुपात कम होने लग गया। एक समय तो ऐसा आया जब इस राज्य में लड़कियों की संख्या बेहद ही कम हो गई और यहां के लड़कों की शादी करवाना मुश्किल हो गया। ऐसे में दलालों ने इस राज्य में लड़कियों की सप्लाई शुरू कर दी। इन लड़कियों की बोली लगाई जाती थी और जो अधिक पैसे देते थे, उसे लड़की मिल जाती थी। इस तरह से हरियाणा में बहुएं लाई जाती थी।

20 हजार में खरीदी जाती थी लड़कियां

दक्षिण हरियाणा के मेवात इलाके के अधिकतर सैन्य कर्मियों की ड्यूटी पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, सिक्किम जैसे इलाकों में लगती थी और यहां से लड़कियों को 18 से 20 हजार रुपये में खरीदकर लाया जाता था। इनसे शादी कर घर बसा लिया जाता था।

वहीं कई ऐसे लोग भी थे जिन्होंने इसे अपना व्यापार बना लिया था और ये लोगों को लड़कियां बेचा करते थे। ये लड़कियां दिल्ली के रास्ते हरियाणा पहुंचाई जाती थी और इनके लिए 70 से 80 हजार रुपये देने पड़ते थे। ये लड़कियां दूसरे धर्म की हुआ करती थी। लेकिन किसी को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था।

लगता था लड़कियों का मेला

मध्यप्रदेश के शिवपुरी में तो बकायदा लड़कियों का मेला लगता था और इन्हें खरीदकर हरियाणा लाया जाता था। इस जगह से लाई जाने वाली लड़कियों को मोल की बहु और पारो नाम दिया गया था। वहीं एक समय ऐसा भी आया जब लड़कियां हरियाणा के लड़कों से शादी कर उन्हें लुटकर भाग जाती थी। हरियाणा में लुटेरी बहुएं सक्रिय हो गई थी। इन बहुओं को दलालों के जरिए खरीदा जाता था। इनके लिए लाखों रुपए दिए जाते थे। अगर एक लाख में बहु लाई जाती थी तो एक महीने के लिए घर में टिक जाती थी। वहीं तीन लाख रुपए की लाई गई बहु कुछ महीनों के लिए घर में टिका करती थी। फिर पैसे लेकर फरार हो जाती थी। वहीं जो बहुएं फरार नहीं होना चाहती थी वो पुलिस में रिपोर्ट करवा देती थी कि उन्हें तंग किया जा रहा है।

हालांकि अब इस राज्य की हालात बेहतर हो गए हैं और यहां पर लिंगानुपत सही होता जा रहा है। वहीं इस राज्य में लाई गई बाहरी बहुओं ने खुद को प्रदेश के रहन-सहन, खान-पान, संस्कृति में ढाल लिया है। हरियाणा के जींद जिले की 48 वर्षीय संतरा देवी और 32 वर्षीय नीतू को पश्चिम बंगाल से 20 हजार रुपये व एक लाख 60 हजार रुपये में खरीदकर लाया गया था। अब दोनों हरियाणा में खुशी खुशी रह रही हैं। कई सामाजिक संगठन भी इन महिलाओं के साथ हैं।

सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन इन महिलाओं के लिए काम करता है। इस फाउंडेशन की और से करवाए गए सर्व में पाया गया कि हरियाणा के करीब डेढ़ लाख परिवारों में दूसरे प्रदेशों से बहुएं लाई गई हैं। वहीं इन बहुओं के सम्मान मिल सके इसके लिए इस फाउंडेशन ने परदेसी बहू-म्हारी अभियान शुरू किया है।

सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन के संचालक सुनील जागलान के अनुसार इन शादियों के तहत जाति प्रथा टूट रही है। दूसरे राज्यों से दलित लड़कियों की शादी हरियाणा की बड़़ी संख्या स्वर्णों अथवा अगड़ों में हो रही हैं। इन शादियों का पंजीकरण बेहद जरूरी है। मैरिज रजिस्ट्रेशन कर उसे आधार कार्ड से जोड़ा जाए। ताकि कोई व्यक्ति धोखे को शिकार न हो सके।

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