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दिवाली के दिन मां शारदा की पूजा करने से होती है धन-संपन्नता में वृद्धि, जाने समूर्ण पूजनम

दिवाली के दिन शारदा पूजा भी की जाती है और इस दौरान माता शारदा की आराधना होती है। माता शारदा को सरस्वती मां भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि दिवाली के दिन शारदा पूजा करने से घर के लोगों को ज्ञान और विद्या की प्राप्ति होती है। इसलिए कई सारे लोग दिवाली के दिन गणेश जी और मां लक्ष्मी की पूजा करने के साथ-साथ माता शारदा की भी पूजा किया करते हैं। शास्त्रों में शारदा पूजा के महत्व का जिक्र भी किया गया है और लिखा गया है कि दिवाली के शुभ अवसर पर इनकी पूजा जरूर करनी चाहिए।

व्यापार में होती है वृद्धि

जो लोग व्यापार किया करते हैं उन लोगों को मां शारदा की पूजा दिवाली के दिन जरूर करनी चाहिए। गुजरात राज्य में मां शारदा की पूजा दिवाली के दिन जरूर की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इनकी पूजा करने से धन और संपन्नता बढ़ती है। इस पूजा को गुजरात में चोपड़ा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल इस दिन से गुजरात में चोपड़ा यानी नए बहीखातों की शुरुआत होती है। इसलिए इस पूजा को चोपड़ा पूजा भी कहा जाता है। वहीं मां शारदा की उत्पत्ति कैसे हुई, इससे एक कथा जुड़ी हुई है जो कि इस प्रकार है

मां शारदा की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार इस संसार को ब्रह्मा जी द्वारा बनाया गया था। वहीं ये संसार बनान के बाद ब्रह्मा जी को कुछ कमी महसूस हुई। जिसके चलते ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु की आज्ञा लेकर अपने कमंडल से जल का छिड़काव धरती पर कर दिया। इस जल के छिड़काव से धरती पर एक तरह का कंपन होने लग गया और एक शक्ति प्रकट हुई। ये शक्ति एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री थी। जिसके हाथ में वीणा, पुस्तक एवं माला थी।

ब्रह्मा जी ने इस सुंदर स्त्री को देखकर उससे कहा कि आप वीणा को बजाएं ताकि इस संसार में कुछ मधुर सुनने को मिले । ब्रह्मा की आदेश पाते ही इन्होंने वीणा को बजाना शुरू कर दिया। जिसके साथ ही संसार के सभी प्राणियों को वाणी प्राप्त हो गई और ये संसार सुंदर दिखने लगा। ब्रह्मा ने इस सुंदर स्त्री को सरस्वती नाम दिया।

जाना जाता है कई नामों से 

सरस्वती मां को कई सारे नामों से जाना जाता है। इन्हें बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी कहा जाता है। वहीं दिवाली के दिन इनकी पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसलिए आप दिवाली के दिन शारदा मां का पूजन जरूर किया करें।

इस तरह से करें पूजन

शारदा मां का पूजन करने के लिए आप एक चौकी मंदिर में रख दें और इसपर पीले या सफेद रंग का वस्त्र बिछा दें। क्योंकि ये दोनों रंग मां शारदा को बेहद ही प्रिय हैं। उसके बाद चौकी पर शारदा की मूर्ति रख दें और उसके सामने एक दीपक जला दें। फिर आप मां को कमल का फूल अर्पित करें और इनकी वंदना गाएं। वंदना गाने के अलावा आप मां के मंत्रों का जाप भी करें जो कि इस प्रकार हैं –

सरस्वती मां के मंत्र-

सरस्वती पूजा मंत्र -1

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥

शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥
हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌।
वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्‌॥2॥

सरस्वती पूजा मंत्र -2

सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा।

मंत्रों का जाप करने के बाद मां की आरती करें –

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सद्गुण, वैभवशालिनि, त्रिभुवन विख्याता ।।जय..।।

चन्द्रवदनि, पद्मासिनि द्युति मंगलकारी।
सोहे हंस-सवारी, अतुल तेजधारी।। जय.।।

बायें कर में वीणा, दूजे कर माला।
शीश मुकुट-मणि सोहे, गले मोतियन माला ।।जय..।।

देव शरण में आये, उनका उद्धार किया।
पैठि मंथरा दासी, असुर-संहार किया।।जय..।।

वेद-ज्ञान-प्रदायिनी, बुद्धि-प्रकाश करो।।
मोहज्ञान तिमिर का सत्वर नाश करो।।जय..।।

धूप-दीप-फल-मेवा-पूजा स्वीकार करो।
ज्ञान-चक्षु दे माता, सब गुण-ज्ञान भरो।।जय..।।

माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे।
हितकारी, सुखकारी ज्ञान-भक्ति पावे।।जय..।।

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