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राजा तोते की कहानी: बुरी संगत इंसान को बर्बाद कर देती है, जबकि सही संगत अच्छा इंसान बना देती है

कहते हैं कि इंसान जिस संगत में रहता है, उसका स्वभाव भी वैसा हो जाता है। इसलिए ये बेहद ही जरूरी है कि आपकी संगत सही हो और आप ऐसे लोगों के साथ ही रहें, जिनकी सोच अच्छी हो। बुरे लोगों के साथ रहने पर आप बुरे इंसान बन जाते हैं और बुरे काम करने लग जाते हैं। इस विषय से एक कहानी भी जुड़ी हुई है। जो कि हमें ये सीख देती हैं कि हमें हमेशा सही संगत को चुनना चाहिए और बुरे लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

राजा और तोतोे की कहानी

एक राजा शिकार में जाने का मन बनाता है। ये राजा अपने सिपाहियों से कहता कि वो उनके रथ को तैयार कर दें। वो कल शिकार में जाना चाहते हैं। राजा का आदेश मानते हुए सिपाही राजा के रथ को तैयार कर देते हैं। सुबह होते ही राजा शिकार पर जाने के लिए तैयार हो जाते हैं और अपने रथ पर जाकर बैठ जाते हैं। जब राजा अपने रथ पर बैठते हैं, तो देखते ही कि काफी सारे सिपाही भी उनके साथ शिकार पर जा रहे होते हैं। राजा तुरंत अपने मंत्री को कहते हैं कि उनके साथ कोई भी सिपाही जंगल में नहीं जाएगा, वो अकेले ही शिकार पर जाना चाहते हैं। मंत्री राजा को समझाने की कोशिश करता है, लेकिन राजा नहीं मानते हैं। जिसके बाद राजा की बात को मानते हुए मंत्री सिपाहियों को राजमहल में ही रोक देते हैं।

जंगल में पहुंचकर राजा शिकार की खोज में लग जाते हैं, लेकिन काफी समय तक इंतजार करने के बाद राजा को कोई भी जानवर नहीं दिखाई देता है। जिसके चलते राजा जंगल के और अंदर चले जाते हैं। जंगल के अंदर जाकर राजा को एक हिरण दिखती है और राजा उसका पीछा करने लग जाते हैं। हिरण का पीछा करते हुए राजा जंगल में भटक जाते हैं और वापासी का रास्ता भूल जाते हैं। वहीं हिरण का पीछा करते हुए राजा काफी थक भी जाते हैं।

अंधेरा होने पर राजा जंगल में ही रोकने का फैसला करते हैं और एक पेड़ के नीचे जाकर सो जाते हैं। वहीं सुबह होते ही राजा को एक तोते की आवाज सुनाई देती है। राजा उठकर देखते हैं कि जिस पेड़ के नीचे वो सो रहे होते हैं, वहां पर एक तोता बैठा होता है। ये तोता बोल रहा होता है कि पकड़ों राजा आया है, इसे लूट लो। तोते की ये आवाज सुनते ही काफी सारे डकैत आ जाते हैं। डकैतों को देखकर राजा डर जाते हैं और तुरंत वहां से भाग जाते हैं।

डकैतों से बचकर राजा एक नदी के पास पहुंचते हैं। थका होने के कारण राजा पेड़ के नीचे बैठ जाते हैं, तभी राजा को एक ओर तोते की आवाज सुनाई देती है। ये तोता कहता है, देखों राजा आया है राजा, इनकी सेवा करों, इनके लिए पानी लाओं। तोते की आवाज सुनते ही कुछ संत आते हैं और राजा को पीने के लिए पानी देते हैं।

राजा संत का शुक्रिया अदा करते हैं और उन्हें कहते हैं कि वो जंगल में खो गए हैं। कृपा उनकी मदद करें। संत राजा को अपने आश्रम में ले जाते हैं। आश्रम में पहुंचकर राजा संत को पूरी कहानी बताते हैं और कहते हैं, मैं काफी हैरान हों। क्योंकि एक तोते ने मेरी जान लेने की कोशिश की। जबकि एक तोते ने मेरी जान बचाई। राजा संत से पूछते हैं कि इन दोनों तोतों में इतना अंतर कैसे हैं।

तब संत राजा को बताते हैं कि जिस तोते ने उनको पकड़वाने की कोशिश की वो डकैतों के साथ रहता है। डकैतों की संगत में रहकर वो ऐसा हो गया है। उस तोते पर डकैतों का असर पड़ गया है। जो डकैतों की सोच है वो उस तोते में आ गई है। वहीं जिस तोते ने तुम्हारी सेवा करने की बात कही वो इस आश्रम में रहता है और साधु-संतों के प्रवचन सुनता है। साधु-संतों के प्रवचन सुनकर ये तोता केवल अच्छी बाते ही बोलाता है। जैसी संगत हमारी होती है, हमपर वैसा ही असर पड़ता है। अच्छी संगत होने पर व्यक्ति अच्छा इंसान बन जाता है और बुरी संगत होने पर व्यक्ति का मन बुराइयों से भर जाता है। इसलिए ये बेहद ही जरूरी होता है कि हम लोगों की संगत एकदम सही हो और हम ऐसे ही लोगों के साथ रहें जिनकी सोच अच्छी हो।

संत की बात सुनकर राजा को समझ आ जाता है कि पहले जो तोता उन्हें मिला था उसकी संगत अच्छी नहीं थी, इसलिए वो लूटपाट की बात कर रहा था। वहीं दूसरा तोता आश्रम में रहता है इसलिए उसकी संगत अच्छी है। जीवन में केवल उन्हीं लोगों से दोस्ती करनी चाहिए जिनकी सोच अच्छी हो। वहीं अगले दिन राजा के सिपाही उन्हें खोजते हुए आश्रम पहुंच जाते हैं। जिनके साथ राजा वापस अपने राजमहल आ जाते हैं। राजा महल आकर अपनी पत्नी को पूरी बात बताते हैं।

कथा से मिली सीख

राजा और तोते की इस कथा से हमें सीख मिलती है कि हमें हमेशा ऐसे लोगों की संगत में रहना चाहिए, जिनकी सोच अच्छी हों। क्योंकि बुरी संगत में रहने से हम बुरे इंसान बन जाते हैं। इसलिए हमेशा सही संगत को ही आप चुनें।

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