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इन्ही के जीवनी से प्रेरित हुए है दुनिया का हर महापुरुष …

आज हम आपको एक महापुरुष के जीवन की असली घटना के बारे में बताने जा रहे हैं। यक़ीनन इसे पढ़ने के बाद आपके जीवन में भी कुछ बदलाव आएगा। एक बार की बात है, उस समय ईश्वरचंद्र विद्यासागर बच्चे थे। एक दी उनके घर के बाहर सुबह-सुबह एक भिखारी आया। भिखारी को हाथ फैलाकर माँगते हुए देख, उन्हें बड़ा दुःख हुआ। उनके दिल में भिखारी के लिए करुणा जग गयी।

माँ ने भिखारी को देने के लिए दे दिए अपने कंगन:

वह भागते हुए घर के अन्दर गए और अपनी माँ से भिखारी को कुछ दें के लिए कहा। उनकी माँ के पास उस समय उनके कंगन के अलावा कुछ भी नहीं था। उनकी माँ ने वह कंगन उतारकर ईश्वरचंद्र विद्यासागर के हाथ में दे दिया। माँ ने कहा कि जाओ यह उस जरुरतमंद को दे दो, जब तुम बड़े हो जाना तो मेरे लिए दूसरा बनवा देना। इसके बाद उन्होंने वह कंगन भिखारी को दे दिया।

मैंने उतार दिया आज तुम्हारा कर्ज:

जब ईश्वरचंद्र बड़े हुए तो उन्होंने अपनी पहली कमाई से अपनी माँ के लिए सोने के कंगन बनवाए। जब वह कंगन माँ के पास ले गए तो उन्होंने कहा कि, “लो माँ आज मैंने तुम्हारा बचपन का कर्ज उतार दिया।“ ईश्वरचंद्र की बात सुनकर उनकी माँ ने कहा, “बेटा मेरा कर्ज तो उसी दिन उतरेगा, जिस दिन किसी और जरूरतमंद के लिए मुझे अपने ये कंगन नहीं उतारने होंगे।“

माँ की सीख से ही बनता है हर महापुरुष महान:

माँ की कही गयी वह बात ईश्वरचंद्र के दिल में घर कर गयी। इसके बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीब और जरुरतमंदों की सेवा में लगा दिया। किसी भी महापुरुष का जीवन एक दिन में नहीं बनता है। अपने व्यक्तित्व को निखारने के लिए उन्हें जीवन में कई कष्टों और कठिनाइयों से होकर गुजरना पड़ता है। दुनिया का हर महापुरुष जीवन में कभी ना कभी अपनी माँ की ही सीख की वजह से महान बनता है।

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