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सुशांत के वकील ने आत्महत्या थ्योरी को लेकर एम्स से पूछे यह 9 सवाल, मिला यह जवाब

सुशांत सिंह राजपूत की मौत को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने आत्महत्या का मामला बताया है और सीबीआई को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। एम्स की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सुशांत सिंह के शरीर पर किसी भी तरह की मारपीट के निशान नहीं थे और ना ही उन्हें जहर दिया गया था। इसलिए ये एक आत्महत्या का मामला है। एम्स की ओर से सुशांत की मौत को आत्महत्या कहे जाने वाली रिपोर्ट पर अब अभिनेता के परिवारवालों ने सवाल उठाए हैं और एम्स से 9 सवाल पूछे हैं। सुशांत के पिता के वकील विकास सिंह ने जांच एजेंसी के डायरेक्टर को बतौर चिट्ठी लिखकर ये सवाल पूछे हैं।

विकास सिंह ने एम्स की फोरेंसिक रिपोर्ट को लेकर कहा है कि रिपोर्ट ये तो कह सकती है कि फांसी के फंदे पर लटकने से मौत हुई, लेकिन टीम ये कैसे कह सकती है कि ये आत्महत्या का मामला है। साथ में ही सुशांत के पिता के वकील विकास सिंह ने नई फोरेंसिंक टीम बनाने की मांग भी एम्स से की है।

 एम्स से पूछे ये सवाल

विकास सिंह ने नौ सवाल एम्स पैनल से पूछे हैं और पूछे गए सवालों का जवाब एम्स पैनल ने दे दिए हैं। तो आइए जानते हैं कि विकास सिंह ने एम्स पैनल से कौन से सवाल पूछे थे और उनको क्या जवाब मिला है।

1 सुशांत का पोस्टमॉर्टम मौत वाले दिन ही देर शाम को क्यों किया गया?

इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि पुलिस अधिकारी कूपर अस्पताल गए थे। उन्होंने ही पोस्टमॉर्टम करने को कहा था। इसलिए देर रात पोस्टमॉर्टम कर दिया गया। साल 2013 के एक सर्कुलर के अनुसार रात को भी पोस्टमॉर्टम किया जा सकता है।

2. क्या देर रात पोस्टमॉर्टम के लिए मजिस्ट्रेट ने इजाजत ली गई थी?

पोस्टमॉर्टम के लिए मजिस्ट्रेट की इजाजत की जरूरत उन्हीं केसों में होती है, जब किसी की मौत कस्टडी में हो। या किसी की मौत 176 CrPC के तहत हुई हो। सुशांत का केस 174 CrPC के तहत आता है। इसलिए मजिस्ट्रेट की इजाजत की जरूरत नहीं थी और पुलिस के पास ही पोस्टमॉर्टम कराने का अधिकार था।

3. क्या पोस्टमॉर्टम के वक्त सुशांत का कोई फैमिली मेंबर हॉस्पिटल में मौजूद था?
हमें ये नहीं पता की कोई फैमिली मेंबर था कि नहीं लेकिन पुलिस जिस पेपर के साथ आई थी। उसमें सुशांत की बहन के साइन थे। बाद में सुशांत की बहन और जीजा ओपी सिंह पोस्टमॉर्टम सेंटर पर आए थे।

4. सुशांत की बॉडी में कुछ निशान की बात कही गई है, फिर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उनके शरीर पर किसी चोट का जिक्र क्यों नहीं किया गया?
अगर आप पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के कॉलम 17 को देखें, तो निशान ( ligature marks) की बात कही गई है, उसके अलावा शरीर पर कोई चोट नहीं थी।

5. ऐसे मामलों में ऑटोप्सी के लिए 2-3 घंटे लगते हैं, फिर सुशांत के केस में सब काम 90 मिनट में कैसे पूरा हो गया?
एक सामान्य पोस्टमॉर्टम में घंटा भर का समय लग जाता है। वैसी ऐसी कोई टाइम लिमिट नहीं है। हमने डेढ़ घंटे में सुशांत का पोस्टमॉर्टम पूरा किया। तभी विसरा को प्रिजर्व कर लिया गया था।

6. सुशांत की बॉडी से ऐसा क्या पता लगा जिससे मर्डर की थ्योरी खत्म हो गई?
शव पर किसी तरह के चोट के निशान नहीं थे। जिससे लगे कि उन्हें मारा गया है। गले पर जो निशान मिले, वो उसी फंदे के थे। जिससे सुशांत का शव लटका हुआ मिला था।

7. जिस फंदे की बात हुई, क्या वो सुशांत का वजन उठाने लायक नहीं था?
जिस कुर्ते के कपड़े से सुशांत ने फांसी लगाई गई थी उसका टेस्ट किया गया था। जिसमें पाया गया कि ये कुर्ता 200 किलो तक का वजन झेल सकता है।

8. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में आपने मौत का वक्त क्यों नहीं लिखा?
मुंबई पुलिस ने मौत के वक्त को लेकर सवाल खड़े किए थे। रिपोर्ट में ये लिखा गया है कि पोस्टमॉर्टम से 10-12 घंटे पहले ही सुशांत की मौत हुई ।

9.  टेजर गन थ्योरी को लेकर क्या कहना है?
अगर सुशांत पर टेजर गन का प्रयोग किया होता तो निशान मिलते। दरअसल ये गन हमेशा गर्दन पर एक जला हुआ निशान छोड़ देती है। हमें बॉडी पर जो निशान मिले हैं, वो सिर्फ लटकने के कारण ही हो सकते हैं। टेज़र गन थ्योरी सिर्फ सोशल मीडिया पर चर्चा में थी।

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