स्वास्थ्य

इन चीज़ों को खाने से हो सकता है गर्भपात का खतरा, गर्भवती महिलाएं रहे इनसे दूर

बच्चे को जन्म देना इतना आसान नहीं होता। गर्भावस्था की पहली तिमाही को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान गर्भपात का खतरा भी सबसे अधिक रहता है। यही वजह है कि महिलाओं को इसी वक्त सबसे अधिक सावधान रहने की आवश्यकता होती है।

यदि महिलाएं कंसीव करने के बाद कुछ विशेष तरह की चीजें खा लेती हैं, तो इसकी वजह से मिसकैरेज होने का खतरा बढ़ जाता है। एक नजर डालते हैं कुछ ऐसे खानपान की चीजों पर, जिन्हें गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में आपको भूल कर भी नहीं खाना चाहिए, ताकि आपका बच्चा सुरक्षित रहे।

पपीता

गर्भावस्था में जिन चीजों से गर्भपात का खतरा सबसे अधिक होता है, उनमें सबसे ऊपर नाम पपीते का ही आता है। एक अध्ययन में यह पाया गया है कि हरे या अधपके पपीते में माइरिड एंजाइम और पस मौजूद होते हैं, जिनकी वजह से गर्भावस्था के दौरान ऐठन पैदा होने की आशंका रहती है। यह गर्भपात का कारण बन जाती है। यही वजह है कि कंसीव करने के बाद शुरुआती कुछ महीनों तक हरे पपीते का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।

एलोवेरा जूस

सेहत के लिए एलोवेरा जूस बहुत ही उत्तम माना जाता है। विशेषकर बालों के लिए और त्वचा के लिए इसके बहुत से फायदे हैं। फिर भी प्रेग्नेंसी के दौरान एलोवेरा जूस का सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह खतरनाक साबित हो सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान एलोवेरा जूस पीने से पेल्विक हिस्से से खून निकल सकता है। ऐसे में इससे दूर रहना ही बेहतर होगा।

तिल के बीज

तिल के बीज का सेवन गर्भावस्था के दौरान कभी भी अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए। शहद के साथ इसे खाने से गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है। वैसे, तीसरी तिमाही में काला तिल खाना नॉर्मल डिलीवरी में मददगार होता है, मगर शुरुआती महीनों में तो भूलकर भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

कच्चे अंडे

गर्भावस्था के यदि आप शुरुआती महीनों में हैं तो आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कच्चे अंडे का सेवन आप भूल कर भी न करें। ऐसा करने से फूड प्वाइजनिंग हो सकती है, जो गर्भपात का कारण बन सकती है। आपको मैयोनीज नहीं खाना चाहिए। अंडे के सफेद भाग और पीले हिस्से को यदि आप पका कर खाती हैं, तो ऐसे में यह आपके लिए सुरक्षित होता है। साथ में यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि आप जो अंडा खा रही हैं, वह अधपका न हो।

सहजन

पोटेशियम, आयरन और विटामिन सहजन में प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं, मगर गर्भस्थ शिशु की जान लेने वाला एल्फा सिटोस्टेरॉल भी इसमें मौजूद होता है। यह एक एस्टोजन जैसा यौगिक होता है, जो मिसकैरेज का कारण बनता है।

अनानास

स्वाद और पोषक तत्वों से तो अनानास परिपूर्ण होता है, लेकिन गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में यदि इसका सेवन किया जाए तो इससे लाभ की जगह नुकसान होने की आशंका ज्यादा रहती है। इसलिए बच्चे को यदि पेट में ही मरने से बचाना है, तो गर्भावस्था के पहले तीन महीने में भूलकर भी न तो अनानास खाना चाहिए और न ही इसका जूस पीना चाहिए। अनानास में ब्रोमलिन की मौजूदगी होती है, जो पेट में संकुचन पैदा करके मिसकैरेज कर देता है।

गर्भपात का खतरा गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीनों में बहुत रहता है। गर्भावस्था की अवधि बहुत ही नाजुक मानी जाती है। इसलिए इस दौरान अधिक सतर्क रहने की जरूरत होती है। ऐसे में इस दौरान कुछ भी ऐसा न करें, जिससे बच्चे को नुकसान पहुंचने का अंदेशा हो।

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