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आखिर हमेशा पीले रंग के बोर्ड पर ही क्यों लिखे होते हैं रेलवे स्टेशन के नाम, ये है दिलचस्प वजह

जब भी कहीं दूर एक स्थान से दूसरे स्थान पर यात्रा करनी हो तो सबसे पहले रेल का ही पहला ख्याल आता है। रेलवे को भारत की जीवनी भी कहा जाता है। जी हां, क्योंकि हर दिन लाखों-करोड़ो की संख्या में यात्री ट्रेन में सफर करते हैं। भारतीय रेलवे दुनिया में चौथा और एशिया में दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। देश में कुल स्टेशनों की संख्या 7349 है।

रोजाना ही लाखों-करोड़ों लोग ट्रेन में सफर करते हैं। ट्रेन में यात्रा करना आरामदायक होने के साथ-साथ सुविधाजनक भी है। आप सभी लोगों ने भी कभी न कभी अपने जीवन में रेल से सफर जरूर किया होगा। अगर आप ट्रेन से सफर करते हैं तो आपने रेलवे स्टेशन पर जरूर देखा होगा कि स्टेशन पर जो साइन बोर्ड लगा होता है वह हमेशा पीले रंग का ही होता है।

आपने कभी सोचा है कि आखिर रेलवे स्टेशन का नाम हमेशा पीले रंग के साइन बोर्ड पर ही क्यों लिखा होता है? आखिर इसके पीछे की वजह क्या हो सकती है? अगर आपको इसके बारे में नहीं पता तो चलिए हम आपको इसके बारे में बताते हैं…

जानिए पीले रंग का क्या होता है मतलब?

आप सभी लोगों में से कुछ लोग ऐसे भी होंगे जिनके मन में कभी ना कभी यह ख्याल जरूर आया होगा कि आखिर रेलवे स्टेशन के नाम हमेशा पीले रंग के साइन बोर्ड पर ही क्यों लिखा होता है। इसके बारे में आगे जाने से पहले हमें पीले रंग के महत्व के बारे में समझना होगा। आपको बता दें कि पीला रंग मुख्य रूप से सूर्य की चमकदार रोशनी पर आधारित है।

पीले रंग का सीधा कनेक्शन खुशी, बुद्धि और ऊर्जा से जुड़ा हुआ होता है। भीड़भाड़ वाले इलाके में पीले रंग का बैकग्राउंड बाकी रंगों के मुकाबले बहुत अच्छे तरीके से काम करता है। इतना ही नहीं बल्कि यह मन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव डालता है।

वास्तुशिल्प और मनोवैज्ञानिक कारकों को ध्यान में रखते हुए भी ज्यादातर इसी रंग का प्रयोग किया जाता है। पीले रंग के बोर्ड पर काले रंग से लिखे शब्द दूर से ही साफ दिखाई देते हैं। यह आंखों पर भी जोर नहीं डालता है।

काफी दूर से दिखता है पीला रंग

पीले रंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह दूर से ही नजर आ जाता है। पीला रंग काफी चमकदार होता है, जो ट्रेन के ड्राइवर को दूर से ही दिखाई दे जाता है। इससे उसे यह पता चल जाता है कि आगे स्टेशन है और वह अपनी ट्रेन की गति को धीरे करने लगता है। इसके साथ ही स्टेशन के करीब आने पर ड्राइवर अधिक सतर्क हो जाता है और लगातार हॉर्न बजाता रहता है ताकि स्टेशन पर मौजूद यात्री सावधान हो जाएं। कई स्टेशनों पर ट्रेनों को नहीं रुकना होता है।

लाल रंग के बाद पीले रंग की वेवलेंथ ही सबसे ज्यादा होती है

आपको बता दें कि लाल रंग के बाद पीले रंग की वेवलेंथ सबसे ज्यादा होती है। इसी वजह से स्कूल बसों को पीले रंग में रंगा जाता है। इतना ही नहीं पीले रंग को बारिश, कोहरा या धुंध में भी पहचाना जा सकता है। पीले रंग का लैटरल पेरीफेरल विजन पीले रंग की तुलना में लगभग सवा गुना अधिक होता है। अगर आपके मन में अब यह ख्याल उत्पन्न हो रहा है कि सुरक्षा वाले बोर्ड या साइन व सिग्नल लाल क्यों होते हैं तो बता दें कि खतरे के सिग्नल के लिए लाल रंग का इस्तेमाल किया जाता है।

लाल रंग बहुत ज्यादा चटक माना जाता है, जिसकी वजह से खतरे को दूर से भांपा जा सकता है। सड़कों के अलावा रेल यातायात में लाल रंग का अच्छा खासा इस्तेमाल किया जाता है। गाड़ी के पीछे भी लाल रंग की बत्ती आप लोगों ने देखी होगी। गाड़ी के पीछे लाल रंग की बत्ती इसलिए लगाई जाती है क्योंकि पीछे से आ रहे दूसरे वाहन उसे दूर से आसानी से देख पाएं, जिससे पीछे आने वाली गाड़ियां अपनी स्पीड धीमी कर लें।

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