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जाया किशोरी एक कथा करने के लिए लेती हैं इतने रुपये, बताया कैसे बनते हैं कथावाचक

मशहूर कथावाचक और भजन गायिका जया किशोरी सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहती हैं। । इसके माध्यम से वह अपने भक्तों की समस्याएं और उनके सवाल सुनती हैं और उन्हें सही उपाय बताती है। बता दे कि वह इससे जुड़े वीडियो अपने यूट्यूब चैनल पर भी अपलोड करती हैं। उनके यूट्यूब चैनल का नाम ‘आई एम जया किशोरी’ है‌। उनके वीडियोज को यूजर्स द्वारा बहुत पसंद किया जाता है।

हाल ही में उनके यूट्यूब चैनल पर इस कैंपेन से जुड़ा एक वीडियो शेयर किया गया। वीडियो में छोटी उम्र का एक भक्त उनसे सवाल पूछता हुआ नजर आ रहा है। युग नाम के इस भक्त ने उनसे ऐसा सवाल पूछा कि वह भी आश्चर्यचकित रह गई।

युग नाम के छोटे बालक ने किशोरी जी से पूछा कि, कथावाचक कैसे बना जा सकता है। इस बात का जवाब देते हुए किशोरी जी ने कहा कि, किसी भी व्यक्ति को जीवन में कुछ भी बनने के लिए सबसे पहले कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ता है। जिनमें सबसे पहली चीज एक अच्छे गुरु के मार्गदर्शन को बताया है। क्योंकि गुरु के बिना हमें सही और गलत के बारे में पता नहीं चलता। वह हमें सही दिशा दिखाते हैं।

वहीं दूसरी बात में उन्होंने खुद को गुरु के लायक बना लेने को कहा। उनका मानना है कि बहुत से लोग गुरु की बातों को नजरअंदाज कर देते हैं। इसीलिए व्यक्ति को चाहिए कि वह खुद को सबसे पहले इस लायक बना ले गुरु की हर आज्ञा का पालन कर सकें। 

किशोरी जी ने तीसरी सबसे महत्वपूर्ण चीज मेहनत को बताया है। उनका मानना है कि मेहनत के बिना कोई भी व्यक्ति किसी कार्य में सफल नहीं हो सकता। वहीं अगर कोई व्यक्ति कथावाचक बनना चाहता है तो उसे सभी महान संतों और ईश्वर की कथाओं से संबंधित पुस्तकें पढ़नी चाहिए। जब तक व्यक्ति अपने ज्ञान को नहीं बढ़ाएगा तब तक वह दूसरों को कथा सुनाने के लायक नहीं हो सकता। चौथी और आखिरी बात बताते हुए किशोरी जी ने कहा कि हर व्यक्ति को कुछ और बनने से पहले एक अच्छा इंसान बनना चाहिए। क्योंकि एक अच्छा इंसान ही सही मायने में कोई अच्छा काम कर सकता है। अच्छे व्यक्तित्व के व्यक्ति को हर जगह सफलता मिलती हैं।

7 वर्ष की उम्र से ही गाती है भजन

जया किशोरी एक कथावाचक और भजन गायिका हैं। जो अपनी मोटिवेशनल स्पीच और भक्ति एल्बम के लिए भी मशहूर हैं। किशोरी जी का जन्म 13 जुलाई साल 1995 में हुआ। जया किशोरी 7 वर्ष की उम्र में भजनों से ठाकुर जी को रिझाने लग गई थीं। इन्होंने कोलकाता में बसंत महोत्सव के दौरान संत्संग में गाना गाया था। सिर्फ 9 साल की उम्र में ही जया किशोरी ने संस्कृत में लिंगाष्टकम्, शिव-तांडव स्तोत्रम्, रामाष्टकम् आदि कई स्तोत्रों को गाना शुरू कर दिया था। फिर 10 साल की उम्र में इन्होंने अकेले ही सुंदरकांड गाया। जिसे लोगों ने खूब पसंद किया।

इन्होंने कई भक्ति एल्बम में अपनी आवाज दी है। जया किशोरी ‘नानी बाई का मायरा, नरसी का भात’ कार्यक्रम करती हैं। इन्हें शुरुआती शिक्षा देने वाले गुरु गोविंदराम मिश्र ने राधा नाम दिया। साथ ही श्रीकृष्ण के प्रति इनके प्रेम को देखते हुए इन्होंने ही ‘किशोरीजी’ की उपाधि जया किशोरी को आशीर्वाद के रूप में दी।

‘PTV हिंदुस्तान’ नाम के एक चैनल ने जया किशोरी के बुकिंग ऑफिस के कर्मचारी से बात करने का दावा करते हुए बताया कि किशोरी जी एक कथा करने की क्या फीस (Jaya Kishori Katha Fees) लेती हैं। इससे मिली जानकारी के मुताबिक किशोरी जी एक कथा करने के लिए 9 लाख 50 हजार रुपये लेती हैं। इस फीस का आधा हिस्सा यानी 4 लाख 25 हजार रुपये कथा से पहले लिया जाते हैं। जबकि आधी फीस कथा होने के बाद ली जाती है

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