धार्मिक

श्रीराम के अलावा इन 3 योद्धाओं ने किया था रावण को पराजित, एक ने तो बना लिया था बंदी

असत्य पर सत्य की जीत का त्यौहार यानी विजयादशमी पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। प्रतिवर्ष इस दिन रावण का पुतला दहन कर ये संदेश दिया जाता है कि अंततः असत्य, अहंकार और दुराचार की हार होती है। खैर, रावण इन बुराइयों के अलावा परम विद्वानी और शक्तिशाली था, इस बात में कोई दोराय नहीं है। रावण ने अपने पराक्रम और बल से मनुष्यों के अलावा देवताओं को भी हराया था। एक बार तो यमराज को भी रावण ने पटखनी दे दी थी। ऐसे में सभी लोग सिर्फ यही जानते हैं कि रावण सिर्फ भगवान श्रीराम से ही हारा था, मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि श्रीराम के अलावा भी रावण अन्य 3 योद्धाओं से हार चुका था। आज हम इस आर्टिकल में आपको उन्हीं 3 योद्धाओं के बारे में बताने वाले हैं…

वानरराज बालि ने रावण को दी पटखनी

रावण भले ही परम शक्तिशाली था, मगर उसका अहंकार ही उसके विनाश का कारण बना। वो दूसरे योद्धाओं को हमेशा कमतर आंकता था और चुटकियों में हरा देने की बातें करता था। ऐसे में जब रावण को पता चला कि वानरराज बालि भी अति शक्तिशाली है, तो रावण ने खुद को महान साबित करने के लिए बालि से लड़ने खुद किष्किंधा पहुंच गया। रावण ने बालि को युद्ध के लिए ललकारा, मगर उस समय बालि पूजा में लीन था और जब उसे रावण की ललकार सुनाई दी तो वो गुस्से से आगबबूला हो गया। इसके बाद बालि  रावण को अपने बाजू में दबाकर समुद्र की परिक्रमा करते हुए अपनी पूजा करने लगा, रावण छटपटता रहा मगर वो बालि के पकड़ को नहीं छुड़ा सका। इसके बाद जब बालि की पूजा खत्म हुई और उसने छोड़ा तो रावण बेहोश हो चुका था, रावण को जब होश आया तो उसने बालि से मित्रता कर ली। इस तरह से बालि ने भी रावण के अहंकार का अंत किया था।

जब पाताल लोक के राजा बलि से पराजित हुआ रावण

रावण ने अपनी शक्ति से पूरा पृथ्वी और साथ में स्वर्ग भी जीत लिया था, इसके बाद रावण पाताल लोक को भी जीतना चाहता था। मगर उस समय दैत्यराज बलि पाताल लोक के राजा थे। रावण जब पाताल लोक पहुंचा तो वहां उसने राजा बलि को युद्ध के लिए ललकारा। इसी दौरान राजा बलि के महल में खेल रहे बच्चों ने ही रावण को पकड़ लिया और घोड़ों के साथ अस्तबल में बांध लिया। इस प्रकार से राजा बलि के महल में रावण की पराजय हुई।

सहस्त्रबाहु अर्जुन से हारा रावण

राक्षसों के राजा रावण ने जब सभी राजाओं को हरा दिया और वह महिष्मति नगर के राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन को जीतने की इच्छा से महिष्मति नगर गया। वहां रावण ने सहस्त्रबाहु अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारा। इसके बाद रावण और सहस्त्रबाहु के बीच नर्मदा नदी के तट पर भयंकर युद्ध हुआ और अंत में सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को बंदी बना लिया। इसकी जानकारी जब रावण के पितामह पुलस्त्य मुनि तक पहुंची, तो उन्होंने सहस्त्रबाहु से रावण को छोड़ने के लिए निवेदन किया। इसके बाद सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को छोड़ दिया और दोनों ने एक दूसरे से मित्रता कर ली।

ये भी पढ़ें- दशहरे के दिन दिख जाए अगर ये पक्षी तो चमक जाता है भाग्य, घर में आती है सुख-शांति

Related Articles

Back to top button