इन 5 कारणों की वजह से शरद पूर्णिमा के दिन खाई जाती है खीर, होता है बेहद शुभ

अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा मनाया जाता है। शास्त्रों और हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन का एक बड़ा महत्व होता है और माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के बाद से हेमंत ऋतु का आगमन हो जाता है और मौसम धीरे धीरे ठंडा होना शुरू हो जाता है। बहरहाल इस साल 30 अक्टूबर की रात को शरद पूर्णिमा मनाया जाएगा। इस पूर्णिमा की रात चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है, यही वजह है कि इस रात का चंद्रमा इतना खूबसूरत दिखता है।
शास्त्रों में मान्यता है कि इस रात को चंद्रमा की किरणों में कई रोगों को दूर करने की क्षमता होती है। यही वजह है कि इसका लाभ लेने के लिए छत पर खुले में खीर रखकर अगले दिन उसका सेवन किया जाता है। आइये जानते हैं, इसके पीछे के कुछ अन्य कारण…
चंद्रमा बरसाती है अमृत की किरण
शास्त्रों के अनुसार इस दिन चंद्रमा के किरणों में अमृत होता है और इसमें कई प्रकार के रोगों को नष्ट करने की ताकत होती है। चंद्रमा के किरणों का बाहरी शरीर पर तो लाभ मिलता ही है, इसके अलावा भीतरी अंगो को लाभ देने के लिए खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है और उसे अगली सुबह प्रसाद के रूप में खाया जाता है। यही वजह है कि शरद पूर्णिमा की रात को प्रत्येक घर के छत पर खीर रखे जाते हैं।
दूध और खीर बन जाती है अमृत
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र से जुड़ी हर चीज जाग्रत हो जाती है, चूंकि दूध भी चंद्र से जुड़ा है इसलिए इसका खीर बनाकर रात को चंद्रमा के प्रकाश में रखा जाता है।
शरद पूर्णिमा से होता है शीत ऋतु का आगमन
शरद पूर्णिमा के बाद से मौसम में परिवर्तन शुरू हो जाता है। लिहाजा ठंड बढ़ने लगती है और शीत ऋतु का आगमन भी इसी दिन से माना जाता है। शरद पूर्णिमा की रात को खीर का सेवन भी इसी बात का प्रतीक होता है कि ठंड के मौसम में हमे गर्म चीजों का सेवन करना चाहिए, क्योंकि इन्हीं चीजों से ठंड से निजात मिलती है।
खीर होता है पौष्टिक पदार्थ
खीर को दूध, चावल, सूखा मेवा आदि पौष्टिक चीजें डालकर बनाई जाती है, ये शरीर के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है और ये रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसी खीर को जब शरद पूर्णिमा की रात बनाकर खाई जाती है तो उसका असर और प्रभाव दोगुना हो जाता है।
खीर के प्रसाद का वितरण
शास्त्रों के मुताबिक शरद पूर्णिमा के दिन अगर दूध या खीर का प्रसाद वितरण किया जाए तो चंद्रदोष दूर हो जाता है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलता है। इसलिए कुछ स्थानों पर सार्वजनिक रूप से खीर बनाकर प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।