शरद पूर्णिमा: चांद की रोशनी में बनी खीर खाने से हेल्थ को होते हैं ये 6 बड़े फायदें
शरद पूर्णिमा पर चाँद की रोशनी में खीर बना उसे 12 बजे के बाद खाने का चलन काफी पुराना है। ऐसा कहा जाता है कि इस रात चंद्रमा अपनी किरणों से अमृत बरसता है। ऐसे में इसकी रोशनी में बनी खीर खाने से कई रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
मलेरिया से बचाए: जब कोई मच्छर हमे काटता है तो उसके बैक्टीरिया बॉडी में फैलने लगते है, हालांकि ये तभी ज्यादा पनपते हैं जब इन्हें पित्त का वातावरण मिलता है अन्यथा ये कुछ ही समय में समाप्त हो जाते हैं। आसान शब्दों में कहे को पित्त के बढ़ने या असंतुलित होने के कारण मलेरिया होता है। ऐसे में यदि आप शरद पूर्णिमा की खीर खाते हैं तो ये आपके पित्त को संतुलित रखने में मदद करती है।
आंखों की रोशनी बढ़ाए: खीर खाने से आँखों से जुड़ी बीमारियों में लाभ मिलता है। इसके अलावा शरद पूर्णिमा के दिन चाँद को एकटक देखते रहने से भी आंखों की रोशनी को कथित रूप से लाभ होता है। एक मान्यता ये भी है कि शरद पूर्णिमा पर चाँद की रोशनी में सि में 100 बार धागा डालने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है।
अस्थमा (दमा) में लाभकारी: दमा की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को शरद पूर्णिमा में बनी खीर को सुबह चार बजे उठकर खाना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इससे अस्थमा की बीमारी में लाभ मिलता है।
दिल और फेफड़ों के लिए फायदेमंद: शरद पूर्णिमा का चाँद और खीर आपको दिल और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों में राहत देने का काम करता है। इस खीर को खाने से श्वांस संबंधी बीमारी नहीं होती है।
त्वचा रोग दूर करे: मानयता है कि शरद पूर्णिमा की खीर खाने से स्किन से जुड़ी बीमारियां जैसे कि चर्म रोग इत्यादि ठीक हो जाते हैं। इसके साथ ही इसके सेवन से स्किन की क्वालिटी सुधरती है और उसमें ग्लो आ जाता है।
इम्यूनिटी बढ़ाए: शरद पूर्णिमा पर चांदी के बर्तन में खीर खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
वैज्ञानिक तर्क: शरद पूर्णिमा की रात छत पर रखी खीर खाने के पीछे वैज्ञानिक तर्क भी है। खीर दूध और चावल से मिलकर बनती है। दूध में लैक्टिक नामक अम्ल होता है जो चांद की से अत्यधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है। दूसरी ओर चावल ने स्टार्च होता है जिससे ये प्रोसेस और भी आसान हो जाती है। यही वजह है कि ऋषि मुनि भी प्राचीन समय में खीर को खुले आसमान में रख इसका सेवन करते थे।