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सलीमगढ़ किले से जुड़ी हैं खौफनाक कहानियां, यहां ही दी थी औरंगजेब ने अपनी बेटी को दर्दनाक मौत

देश की राजधानी दिल्ली में मुगल काल से जुड़े कई सारे किले मौजूद हैं। जिसमें से सलीमगढ़ का किला एक है। ये किला दिल्ली के मुगलकालीन लाल किला के पास स्थित है। इस किले को लेकर कई तरह की कहानियां प्रसिद्ध हैं और कहा जाता है कि इस जगह ही औरंगजेब की बेटी तड़प-तड़पकर कर मरी थी। इस किले को भूतियां किला भी माना जाता है और यहां लोग जाने से डरते हैं।

ये किला लाल किले के पीछे स्थित है और त्रिकोणीय आकार में बना है। कहा जाता है कि इस किले को कैद खाने के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था और मुगलों का ये कैदखाना हुआ करता था। इसके बाद अंग्रेजों द्वारा इसे स्वतंत्रता सेनानियाें को कैद करने के लिए इस्तेमाल किए जाने लगा।

इस किले में कैदियों को यातना और फांसी भी दी जाती थी। जिसकी वजह से इसे स्वतंत्रता सेनानी स्मारक नाम भी दिया गया है। कहा जाता है कि इस किले को लाल किले से पहले बनाया गया था और कभी इस किला के दोनों ओर यमुना बहती थी। ये किला 500 साल पुराना है और इसे शेरशाह सूरी के वंशज सलीम शाह ने 1546 ईस्वी में बनवाया था और उसी के नाम पर इसका नाम सलीम गढ़ का किला रखा गया।

इतिहास के अनुसार औरंगजेब ने अपनी बेटी को यहां पर ही कैद किया था। इस किले में ही औरंगजेब की बेटी की मौत हुई थी। औरंगजेब ने अपनी बेटी को काफी खौफनाक मौत दी थी और उसे 22 दिनों तक भूख-प्यास रखा था। 22 दिन बाद उसकी मौत हो गई।

किले में है भूत

ऐसा माना जाता है कि इस किले में भूत है और यही वजह है कि कोई भी इस किले में नहीं आता है। ये किला एकदम सुनसान है। अफवाह है कि इस किले के अंदर प्रेतात्माएं रहती हैं। हालांकि एएसआइ के अधिकारी और किले के गेट पर ड्यूटी देने वाले सीआइएसएफ के जवान इन बातों को खारिज करते हैं और कहते हैं कि ये सिर्फ अफवाह ही है।

ये किला काफी टूट चुका है। इसलिए कोरोना काल के बाद इसका संरक्षण कार्य शुरू किया जाएगा। किले में बनी जेलों को सही किया जाएगा। ये किला देखने में टावर ऑफ लंदन से मिलता-जुलता है और यहां पर कोई भी जा सकता है। ये किला हर दिन खुला रहता है और इसके खुलने का समय 10 बजे से 5 बजे का है। इस किले में जाने के लिए कोई भी टिकट नहीं लेनी पड़ती है। किले में जाने का रास्ता लाल किला के अंदर से होता हुआ जाता है। जब आप लाल किले जाए तो संग्रहालय की तरफ मुड़ जाए, वहां से ही सलीमगढ़ की तरफ जाने का रास्ता है।

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