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पुलिस गिरफ्त से विकास दुबे को भगाने के फिराक में थे उसके साथी, हुआ सबसे बड़ा खुलासा

उत्तर प्रदेश के कानपुर में जुलाई के महीने में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोप में फरार विकास दुबे को पुलिस ने उज्जैन से दबोच लिया था। जैसे ही पुलिस ने उसे दबोचा वह चिल्लाकर बोला कि मैं विकास दुबे हूं, कानपुर वाला। दरअसल, कानपुर कांड ने यूपी समेत पूरे देश को झकझोंर कर रख दिया था। इस घटना का अंत विकास दुबे के एनकाउंटर के साथ हुआ, लेकिन अब इस मामले से जुड़ा एक बड़ा खुलासा हुआ है।

एमपी के उज्जैन से विकास दुबे को दबोचा गया था। ऐसे में, जिन लोगों ने विकास दुबे को पकड़वाने में मदद की थी, अब वे लोग बहुत परेशान हैं। दरअसल उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर के दो कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने विकास दुबे को पकड़वा तो दिया, लेकिन उन्हें अब परेशान किया जा रहा है। हालांकि विकास दुबे इनामी अपराधी था, लेकिन उसका इनाम भी कर्मचारियों को नहीं मिला। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें प्रशासन की तरफ से नोटिस मिला और उन्हें कुछ दिनों के लिए काम से भी बेदखल कर दिया गया था।

मंदिर के गौशाला प्रभारी गोपाल सिंह का कहना है कि हमें मंदिर प्रशासन ने नोटिस जारी कर दिया। दरअसल, कर्मचारियों पर आरोप है कि वे लोग कोई महत्वपूर्ण बात छिपा रहे हैं। हालांकि, अब उन्हें काम पर वापस बुला लिया गया है, लेकिन उन्हें चेतावनी दी गई है। गोपाल का आरोप है कि इस तरह की कार्रवाई से तो यही लगता है कि मंदिर प्रशासन और पुलिस चाहती है कि अपराध और अपराधी को देखकर हमें आंख बंद कर लेना चाहिए।

विकास को बचाना चाहते थे उसके साथी

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो जैसे ही विकास की गिरफ्तारी उज्जैन से हुई, वैसे ही उसके साथी उसे बचाने की तैयारी में लग गए थे। इतना ही नहीं, उसका करीबी दोस्त जय वाजपेयी ने तो विकास को बचाने की पूरी तैयारी कर ली थी। दावा किया जा रहा है कि विकास को बचाने के लिए तीन गाड़ियां आई थी, जिसमें फॉर्च्यूनर, ऑडी और वेरेना जैसी कारें शामिल थी। हालांकि, पुलिस का पहरा देखकर विकास को बचाने की कोशिशें छोड़ दी गई और उसके दोस्त उलटे पैर वापस चले गए।

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