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धनतेरस के दिन जरूर जलाया जाता है यमराज के लिए दीपक, पढ़ें इससे जुड़ी कथा

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी का पर्व मनाया जाता है। इस साल 13 नवंबर  को धनतेरस का पर्व आ रहा है। धनतेरस के दिन बर्तन, सोना, चांदी व अन्य चीजों को खरीदने की प्रथा है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन बर्तन, सोना या चांदी से बनीं चीजें खरदीनें से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। इसके अलावा धनतेरस को धन्वंतरि और कुबेर का पूजन भी किया जाता है।

धनतेरस 2020 पूजा मुहूर्त

इस वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 12 नवंबर को रात 9 बजकर 30 मिनट से शुरू हो जाएगी। जो कि अगले दिन 13 नवंबर दिन शाम 05 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। इस साल धनतेरस की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सिर्फ 30 मिनट का ही है। जो कि शाम को 05 बजकर 28 मिनट से शाम को 05 बजकर 59 मिनट का है। इसलिए आप इस दौरान पूजा जरूर करें और हो सके तो इस दौरान ही कोई वस्तु खरीदकर अपने घर लाएं।

इस तरह से करें पूजा

धनतेरस को देवताओं के वैद्य या आरोग्य के देवता धन्वंतरि और धन के देवता कुबेर का पूजन किया जाता है। शास्त्रों में धन्वंतरि को भगवान विष्णु का रुप माना गया है। इनके हाथों में अमृत कलश होता है, जो कि पीतल की धातु का बना होता है। दरअसल पीतल की धातु इन्हें बेहद ही प्रिय हैं। इसलिए कई धनतेरस को पीतल के बर्तन भी खरीदते हैं। मान्यता है कि धन्वंतरि की पूजा करने से रोगों से रक्षा होती है। वहीं कुबेर जी की पूजा करने से धन लाभ होता है।

देवता धन्वंतरि और धन के देवता कुबेर की पूजा करने के लिए आप इनकी फोटो या मूर्ति मंदिर में रख दें। फिर उसके पास पांच दीपक जला दें। आप जो वस्तु इस दिन खरीदते हैं, उसे इनके पास रखें और इनसे जुड़े मंत्रों का जाप करें। पूजा करते समय आप इन्हें मिठाई का भोग भी लगाएं। वहीं पूजा खत्म होने के बाद मिठाई को प्रसाद के तौर पर बांट दें।

करें यम दीपम

इस दिन यम के लिए दीपक भी जलाया जाता है। इसलिए धनतेरस के दिन संध्या के समय घर के बाहर एक दीपक जलाएं और ये दीपक यमराज को अर्पित करें। मान्यता है कि इस दिन घर के बाहर दीपक जलाने से परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है।

यम दीपम जलाने से एक कथा जुड़ी हुई है जो कि इस प्रकार है। हंसराज नामक एक प्रतापी राजा हुआ करता था। जिनका एक मित्र था जिसका नाम हेमराज था। एक दिन हेमराज के यहां पुत्र हुआ और उन्होंने पुत्र होने पर एक विशाल पूजा रखी। जिसमें हंसराज को भी बुलाया। इस पूजा के दौरान ही एक देवी प्रकट हुई और उन्होंने भविष्यवाणी करते हुए बोला कि आपके पुत्र की मृत्यु उसके विवाह के चौथे दिन ही हो जाएगी। ये भविष्यवाणी सुनकर हेमराज दुखी हो गया।

अपने दोस्त को दुख में देखते हुए हंसराज ने कहा कि मित्र तुम परेशान ना हो। तुम्हारे बेटे की रक्षा मेैं करुंगा। हंसराज ने यमुना के किनारे एक भूमिगत किला बनवाया और उसी के अंदर राजकुमार को रखा। धीर-धीरे राजकुमार युवा हुआ और उसकी शादी की आयु हो गई। राजकुमार के लिए एक बेहद ही सुंदर लड़की खोजी गई। जिसके साथ उसकी शादी करवा दी गई। वहीं शादी के ठीक चौथे दिन यम राजकुमार के प्राण लेने के लिए यमराज राजमहल आए। लेकिन राजकुमारी ने राजकुमार के कमरे को सोने व चांदी से सजा दिया था और कमरे के बाहर काफी सारे दीपक जला दिए थे। इन दीपकों की चमक देखकर यमराज कमरे के अंदर प्रवेश नहीं कर पाए और इस तरह से राजकुमार के प्राण बच गए। तभी से धनतेरस के दिन घर के बाहर दीपक जलाने की प्रथा शुरू हो गई।

इसलिए इस पर्व के दिन वस्तुएं खरीदने के अलावा शाम के समय पूजा के बाद घर के मुख्य दरवाजे पर यमराज के लिए दीपक जलाया जाता है।

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