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दुनिया भर में प्रसिद्ध है मां काली का दक्षिणेश्वर मंदिर, जाने इस के गुप्त रहस्य

दक्षिणेश्वर मंदिर कोलकाता के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है। ये मंदिर काली माता को समर्पित है और 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर की मुख्य देवी भवतारिणी हैं, जो की काली माता का रुप मानी जाती हैं। दक्षिणेश्वर काली मंदिर हुगली नदी के तट पर स्थित है।

मान्यता है कि इस जगह पर माता सती की दाएं पांव की उंगलियां गिरी थीं। कथा के अनुसार देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति ने हरिद्वार में ‘बृहस्पति सर्व’ नामक यज्ञ का आयोजन किया था। इस यज्ञ में सभी देवी-देवताओं को बुलाया गया था। लेकिन दक्ष प्रजापति ने अपनी बेटी सती व उनके पति भगवान शिव को यज्ञ में नहीं बुलाया। सती को लगा कि शायद उनके पिता उन्हें निमंत्रण देना भूल गए हैं। शिव जी ने सती मां को यज्ञ में जाने से मना किया लेकिन वो मानी नहीं। सती बिना निमंत्रण के ही यज्ञ में शामिल होने चले गई।

यज्ञ में जाकर सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति से कहा कि पिता जी शायद आप हमें बुलाना भूल गए थे। इसलिए में खुद चली आई। आप कृपा शिव जी को भी यज्ञ में बुला लें। सती की ये बात सुनते ही दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव का अपमान करना शुरू कर दिया। जिसके कारण सती को गुस्सा आ गया और सती ने यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी।

भगवान शंकर को जब ये बात पता चली तो वो वहां पहुंचे और यज्ञकुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकालकर दिव्य नृत्य करने लगे। तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल कर माता सती के शरीर को कई हिस्सों में काटा दिया। पुराणों के अनुसार जहां-जहां माता सती के अंग के टुकड़े गिरे थे, वो स्थान शक्तिपीठ बन गए हैं। दक्षिणेश्वर मंदिर में माता सती की दाएं पांव की चार उंगलियां गिरी थीं और इस मंदिर को मां काली का दिव्य धाम भी कहा जाता है।

बेहद ही सुदंर तरीके से बनाया गया है मंदिर

इस मंदिर को भव्य तरीके से बनाया गया है और ये दो मंजिला मंदिर है। जिसमें नौ गुंबद बनीं है। इन गुंबदों पर खड़े लगभग सौ फीट ऊंचे मंदिर के गर्भगृह में मां काली की मूर्ति रखी गई है। मंदिर को बनाने से जुड़ी कथा के अनुसार इस मंदिर को साल 1855 में जान बाजार की रानी रासमणि ने बनवाया था। जिसके बाद कई बार इस मंदिर का निर्माण किया गया।

 

दक्षिणेश्वर काली मंदिर में आकर मां के दर्शन करने से हर कामना पूरी हो जाती है। हर साल लाखों की संख्या में लोग इस मंदिर में आते हैं। नवरात्रि के दौरान यहां खासा भीड़ देखने को मिलती है। ये मंदिर तांत्रिकों के लिए काफी महत्वपूर्ण तीर्थ है। यहां पर कई तात्रिक आकर पूजा करते हैं।

मान्यता है कि इस मंदिर में आकर मां की सच्चे मन से पूजा करने से मां आपकी रक्षा करती हैं। आपको दुखों से बचाती हैं। इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान विशेष कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। इतना ही नहीं जाने माने नेता जब भी कोलकाता आते हैं तो इस मंदिर में जाकर मां की पूजा जरूर करते हैं।

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