बेटी की पिता से गुहार रुला देगी आपको, कहा-‘पापा मुझे किताबें दिलवा दो मुझे आगे पढ़ना है’
जयपुर: इस दुनिया का रचनहार और पालनहार ईश्वर है. कहते हैं कि ईश्वर की मर्जी के बिना कोई पत्ता भी नहीं हिल सकता. ऐसे में इस दुनिया में जो भी होता है उसका ज़िम्मेदार भले ही इंसान होता है मगर उसके पीछे भगवान की अपनी रजा शामिल होती है. हाल ही में गुरुवार को जयपुर के विद्याधर नगर में अचानक सिलिंडर फटने से चारों ओर हाहाकार मच गया. आग लगने से पूरा घर जल कर राख हो गया. इसी बीच 13 वर्षीय भारती के बोल सुन कर उसके माँ बाप का दिल भर आया. भारती एक ही बात बार बार दोहराती चली जा रही थी कि, “पापा मुझे किताबें दिलवा दो, मेरे एग्जाम आ गए हैं, मुझे पढना है. मम्मी प्लीज! आप ही पापा को बोलो ना मुझे बुक्स खरीद कर देने को मेरे एग्जाम है. भाई भी आज चुप है कोई मेरा जवाब क्यूँ नहीं दे रहा?” यह कहते हुए भारती रोने लगी जिसे देख उसकी माँ का गला रूंध आया.
आपको बता दें कि भारती नामक यह मासूम बच्ची उसी गुजराती बाप की बेटी है, जिसका घर सिलिंडर फटने से तहस नहस हो गया और आग की चपेटों में पूरे परिवार के अरमान जल गए. दरअसल, भारती का परिवार विद्याधर नगर में किराए के घर में रहता था. गरीब होने के कारण परिवार का गुजारा भी मुश्किल से चलता था. ऐसे में आग की चपेट में सारा धन एवं सामान जलने से सबका दिल टूट गया. भारती का शुक्रवार को एग्जाम था. जब वह एग्जाम देकर स्कूल से घर लौटी तो जला हुआ घर देख कर अपनी किताबें खोजने लगी. फिर उसे अपनी जली हुई किताबे मिली और उन्हें देख कर वह बिलख बिलख कर रोने लगी. भारती के भाई सोनू के अनुसार उनके घर में कुछ रुपए रखे हुए थे, जो उसके पिता ने रात दिन मेहनत करके इक्कठे किए थे. मगर आग के कारण वह रुपए भी जल कर राख हो गए.
सोनू के अनुसार उनके पिता सारा दिन मजदूरी करके उनका पेट पालते थे. गरीबी के चलते उनका कोई बैंक बैलेंस भी नहीं है और ना ही रहने का कोई दूसरा टिकाना.
जब कुछ अखबार के पत्रकार वहां हालात का जायजा लेने पहुंचे तो भारती सुबकते हुए उनसे कहने लगी कि, अंकल मेरे संस्कृत, गणित, मोरल साइंस, सामान्य ज्ञान और कंप्यूटर के एग्जाम अभी बाकी है 26 को मेरे पेपर खत्म होंगे बिना किताबों के मैं जवाब कैसे दूंगी? आज तो मैंने अपनी सहेली से किताब मांग ली है मैं उसके घर पढ़ने जाऊंगी मगर उसके बाद मेरा क्या होगा? ”
कहते हैं भगवान जब देता है तो छप्पड फाड़ कर देता है और जब लेने पर आता है तो किसी के पास एक फूटी कौड़ी नहीं छोड़ता. कुछ ऐसा ही हाल भारती के परिवार के साथ भी हुआ. श्यामू गुजराती गुरुवार रात को पूरे परिवार (पत्नी कांता, बेटी भारती, बेटा सोनू) साथ जले हुए मकान के बाहर सड़क पर रात भर बैठा रहा. इस पूरी रात भारती अपनी किताबों के जलने की बात कहते हुए बार-बार रोती रही. श्यामू के अनुसार उसके परिजनों ने उनके लिए खाने का इंतजाम किया है क्योंकि घर में मौजूद रसोई का पूरा सामान भी राख हो गया है.