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अर्नब गोस्वामी ने किया सुप्रीम कोर्ट का रूख, बॉम्बे हाईकोर्ट के इस आदेश को दी चुनौती

बॉम्बे हाईकोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी की जमानत याचिका को कल खारिज कर दिया था। जिसके बाद अब अर्नब गोस्वामी ने मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और अंतरिम जमानत की अर्जी कोर्ट में दाखिल की है। गौरतलब है कि एक इंटीरियर डिजायनर और उसकी मां की आत्महत्या के मामले में इस समय अर्नब गोस्वामी न्यायिक हिरासत में हैं।

अर्नब गोस्वामी ने अंतरिम जमानत के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई की थी और अर्नब गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों को अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया था। कोर्ट ने ये कहते हुए इन तीनों की अंतरिम जमानत को खारिज कर दिया कि उन्हें राहत के लिए निचली अदालत जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि अगर आरोपी अपनी ‘गैरकानूनी गिरफ्तारी’ को चुनौती देते हैं और जमानत की अर्जी दायर करते हैं। तो संबंधित निचली अदालत चार दिन के भीतर उस पर निर्णय करेगी।

उच्च न्यायालय ने गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों फिरोज शेख और नितीश सारदा की अंतरिम जमानत की आवेदन अस्वीकार करते हुए कहा कि ये असाधारण अधिकार क्षेत्र के इस्तेमाल का कोई मामला नहीं बनता है। ये प्राथमिकी निरस्त करने के लिए दायर याचिका पर उच्च न्यायालय 10 दिसंबर को सुनवाई करेगा। वहीं अब अर्णब गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है और कोर्ट के फैसले चुनौती दी है।

इस मामले में हुई गिरफ्तारी

अलीबाग थाने की पुलिस ने चार नवंबर को इंटीरियर डिजायनर की आत्महत्या के मामले में गोस्वामी सहित तीनों लोगों को गिरफ्तार किया था। इन तीनों को चार नवंबर देर रात मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया था। मजिस्ट्रेट ने इनको पुलिस हिरासत में भेजने से इनकार कर दिया था और इन्हें 18 नवंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा था। इस समय अर्नब को तलोजा जेल में रखा गया है।

गोस्वामी को पहले अलीबाग जेल के लिए बनाए गए कोविड-19 पृथकवास में रखा गया था। लेकिन इन्हें कथित रूप से मोबाइल इस्तेमाल करते हुए पाए जाने के बाद रायगढ़ की तलोजा जेल शिफ्ट कर दिया गया। जेल शिफ्ट किए जाने पर रिपब्लिक टीवी के कंसल्टिंग संपादक प्रदीप भंडारी ने रविवार को प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे को एक पत्र लिखी था। जिसमें इन्होंने कहा था कि गोस्वामी को तलोजा जेल में जान का खतरा है। इसलिए उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए। इन्होंने पत्र में ये भी कहा था कि अर्नब को रविवार की सुबह पीटा गया था।

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