धार्मिक

दिवाली 2020: मां लक्ष्मी के साथ श्रीगणेश और देवी सरस्वती की पूजा क्यों होती है? जाने वजह

दिवाली का पर्व आ गया है। हर कोई इसकी तैयारी में लगा हुआ है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। दिवाली पर जब भी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है तो साथ में श्रीगणेश और देवी सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर भी विराजित होती है। ऐसे में क्या आप ने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों किया जाता है? आईए जानते हैं।

जैसा कि आप सभी जानते हैं मां लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है। वहीं देवी सरस्वती ज्ञान की देवी होती है। श्रीगणेश की बात करें तो उन्हें बुद्धि के देवता कहा जाता है। इन तीनों की पूजा साथ में करने से अभिप्राय यह है कि यदि आप धन कमाना चाहते हैं तो आपको अपने ज्ञान और बुद्धि में भी वृद्धि करनी चाहिए। यह दोनों चीजें अगर आपके पास हो तो आपको धन कमाने से कोई नहीं रोक पाएगा।

एक बार आपके पास धन आ गया तो उसे सही ढंग से संभालने का ज्ञान होना भी जरूरी है। बुद्धि होगी तो आप उस धन का सही निवेश करेंगे। इस तरह मां लक्ष्मी हमारे घर में स्थायी रूप से निवास करेगी। पौराणिक मान्यता की यह चीज यदि आप रियल लाइफ में भी अप्लाई कर दें तो आप जल्द ही मालामाल हो सकते हैं।

दिवाली पर पूजा करते समय एक और विशेष बात का ध्यान रखें। देवी सरस्वती को लक्ष्मीजी के दांई ओर एवं गणेशजी को बांई ओर विराजित किया जाता है। इसका एक अर्थ यह भी है कि इंसान का दांई ओर का मस्तिष्क ज्ञान के लिए होता है। इस तरफ हम अपने ज्ञान को एकत्रित करते हैं। वहीं  बांई ओर का मस्तिष्क रचनात्मक चीजों के लिए होता है। गणपति को बुद्धि का देवता माना जाता है। इसलिए हमारी बुद्धि रचनात्मक भी होनी चाहिए।

बस यही कुछ वजहें थी जिसके चलते देवी लक्ष्मी के साथ श्रीगणेश और सरस्वती की पूजा होती है। आप भी जब दिवाली पर पूजा करें तो लक्ष्मीजी के साथ गणेशजी और सरस्वतीजी की पूजा करना न भूले। इससे आपको बहुत लाभ होगा। एक और बात का ध्यान रखें कि मां लक्ष्मी की पूजा के पहले आपको गणेशजी की पूजा करना चाहिए। तभी इस पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होगा।

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