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सुप्रीम कोर्ट ने दी अर्नब गोस्वामी को अंतरिम जमानत, लेकिन रख दी यह शर्त

रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक आत्महत्या मामले में अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद इन्होंने जमानत की याचिका कोर्ट में दायर की थी। आज इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अर्नब को 50 हजार के निजी मुचलके पर रिहाई दे दी है।

सुप्रीम कोर्ट के सामने दिग्गज वकील हरीश साल्वे ने अर्नब गोस्वामी का पक्ष रखा था। हरीश साल्वे ने कोर्ट से कहा कि अन्वय नाइक की फर्म पिछले 7 साल से घाटे में थी। उसने पहले अपनी मां की हत्या की और उसके बाद खुद को मार लिया। साल्वे ने कहा कि अर्नब गोस्वामी ने सभी बकाये तय समय पर चुका दिए थे। इस केस को रायगढ़ पुलिस ने दोबारा से खोला है और इसे खोलने के लिए सही कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

वकील हरीश साल्वे ने महाराष्ट्र पुलिस पर कई सारे आरोप भी लगाए और कहा कि महाराष्ट्र पुलिस ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के निर्देश पर अन्वय नाइक सुसाइड मामले को दोबारा खोला है। इतना ही नहीं हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि ये केस सीबीआई को सौंपा जाए।

दूसरी ओर कोर्ट के सामने महाराष्ट्र सरकार का पक्ष सीनियर वकील कपिल सिब्बल और अमित देसाई ने रखा। इन्होंने अर्नब की जमानत का विरोध किया। कपिल सिब्बल ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में पहले से लोअर कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को अभी आरोपी को जमानत नहीं देनी चाहिए।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर राज्य सरकारें किसी को टारगेट करती हैं, तो यह न्याय का उल्लंघन होगा। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि हम एक संवैधानिक न्यायालय के रूप में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करेंगे, तो कौन करेगा? अगर राज्य सरकारें किसी व्यक्ति को जानबूझकर टारगेट करती हैं, तो उन्हें पता होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष अदालत है।

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