धार्मिक

दिवाली 2020: लक्ष्मी पूजन में खील बताशे का भोग क्यों चढ़ाया जाता है? जाने इसके पीछे की परंपरा

हिंदू धर्म में दिवाली को एक महापर्व के रूप में देखा जाता है। ये साल का सबसे बड़ा त्योहार होता है। इसे हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस साल हम 14 नवंबर, शनिवार को दिवाली का पवन पर्व मना रहे हैं। दिवाली की पूजा पाठ को लेकर कई प्रकार की परंपराएं हैं। ऐसी ही एक परंपरा के तहत दिवाली पूजन में देवी लक्ष्मी को खील-बताशे का भोग चढ़ाया जाता है। ऐसा करने के पीछे व्यवहारिक, दार्शनिक और ज्योतिषीय कारण है।

दिवाली पर आप भी बाजार से खील बताशे अवश्य लाए होंगे। कुछ लोग खील भी कहते हैं। ये चावल का ही एक मूल रूप होता है। इसे उत्तर भारत में अधिक इस्तेमाल किया जाता है। अब दिवाली पूजन में आप देवी लक्ष्मी को खील-बताशे का भोग तो लगा देते हो लेकिन क्या आप ने कभी इसकी वजह जानने की कोशिश की है? दरअसल ये प्रसाद का व्यवहारिक, दार्शनिक, और ज्योतिषीय महत्व होता है।

जैसा कि हम सभी जानते हैं दिवाली को धन और वैभव का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन हर कोई इन दोनों चीजों को प्राप्त करने के लिए ही सारी पूजा पाठ करता है। असल में धन-वैभव का दाता शुक्र ग्रह होता है। और शुक्र ग्रह का प्रमुख धान्य धान होता है। ऐसे में शुक्र गृह को प्रसन्न करने के उद्देश्य से ही हम देवी लक्ष्मी को खील-बताशे का भोग लगाते हैं।

दिवाली के पहले ही धान की फसल तैयार कर ली जाती है। इस तरह मां लक्ष्मी को दिवाली पर इसे चढ़ाने में आसानी होती है। एक और बात का विशेष रूप से ध्यान रखे कि खील बताशे जब भी घर में ले तो पूजा के बाद ही उन्हें खाए। इसके पहले इनका सेवन न करें। पूजा हो जाने के बाद पहले घर के सभी सदस्य इसे खाएं और फिर आस पड़ोस में प्रसादी के रूप में भी इसे बांटें। ऐसा करने से आपके घर धन की आवक बढ़ने लगेगी।

आशा करते हैं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। अब आप दिवाली पर लक्ष्मीजी को खील बताशे चढ़ाने का कारण अच्छे से जानते हैं। आप यह जानकारी अपने जान पहचान वालों के साथ भी जरूर शेयर करें।

Related Articles

Back to top button