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जेल से बाहर आकर अर्नब ने ठाकरे को ललकारा, पूछा – आप को किस ने हक़ दिया संबिधान के उलंघन का ..

मुंबई : 53 वर्षीय इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में जेल में बंद रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी बुधवार शाम को जेल से रिहा कर दिए गए. अर्नब को सर्वोच्च न्यायलय ने अंतरिम जमानत दे दी. बुधवार देर शाम को अर्नब जेल से बाहर आए और इसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे पर जमकर निशाना साधा. अर्नब ने इस दौरान उद्धव को चुनौती देते हुए उन पर जमकर हमला बोला. इसके साथ ही अंतरिम जमानत मिलने पर अर्नब ने सुप्रीम कोर्ट का भी धन्यवाद किया.

 

लगभग एक सप्ताह से अधिक समय के बाद अर्नब अपने न्यूज़ रूम पहुंचे और यहां से उन्होंने सीएम उद्धव ठाकरे को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी. रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक ने कहा कि, ”जेल के अंदर से भी (चैनल) शुरू करूंगा, और आप (ठाकरे) कुछ नहीं कर पाएंगे.” न्यूज़ रूम में पहुंचे अर्नब ने इस दौरान खुद के दोबारा गिरफ़्तार होने की आशंका भी व्यक्त की. बता दें कि शीर्ष अदालत ने अर्नब के साथ ही अन्य आरोपियों की रिहाई के आदेश भी दिए हैं.

अर्नब गोस्वामी ने अपनी जमानत को भारत के लोगों की जीत करार दिया. जेल से आहर आने के बाद उन्होंने विक्ट्री साइन दिखाते हुए कहा कि, ”‘यह भारत के लोगों की जीत है.” वे खुद ही कार चलाकर अपने घर पहुंचे. इस दौरान मीडिया से बात करते हुए भी उन्होंने उद्धव सरकार पर हमला बोला और अपने ख़िलाफ़ पुलिस की कार्रवाई को उन्होंने अवैध ठहराया.

 

आपको जानकारी के लिए बता दें कि अर्नब और अन्य आरोपियों 50 हजार रुपये के मुचलके पर अंतरिम जमानत मिली है. न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने जमानत के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अर्नब के ख़िलाफ़ महाराष्ट्र सरकार की कानूनी कार्रवाई पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि, ”किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत आजादी पर बंदिश लगाया जाना न्याय का मखौल होगा.” साथ ही अदालत ने अर्नब और दो अन्य आरोपियों को अंतरिम जमानत देने के दौरान कहा कि, ”अर्नब और दो अन्य आरोपियों को 50 हजार रुपये के मुचलके पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए.”

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों के लिए कही अहम बात…

अर्नब गोस्वामी की जमानत याचिका पर सुनवाई करने के दौरान शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालयों को लेकर भी अहम बात कही. शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि, ”हम देख रहे हैं कि एक के बाद एक ऐसे मामले आ रहे हैं, जिनमें उच्च न्यायालय जमानत नहीं दे रहे हैं और वे लोगों की स्वतंत्रता, निजी स्वतंत्रता की रक्षा करने में विफल हो रहे हैं.”

जानिए क्या है मामला…

दरअसल, यह केस मई 2018 में इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां के आत्महत्या करने से जुड़ा हुआ है. अन्वय की आत्महत्या के बाद एक सुसाइड नोट पुलिस ने बरामद किया था. जिसमें इस बात की जानकारी मिली थी कि अर्नब ने उनसे अपने कार्यालय का काम कराया था और इसके 83 लाख रु उन्होंने नहीं चुकाए थे. अर्नब के साथ ही अन्य कई लोगों का नाम भी इसमें शामिल था. उस समय पुलिस ने केस की जांच-पड़ताल कर काफी जल्द केस को बंद कर दिया था.

लेकिन राजनैतिक दुर्भावना के चलते 4 नवंबर को पुलिस ने अर्नब के ख़िलाफ़ कार्रवाई करते हुए उन्हें अपने आवास से गिरफ़्तार कर लिया था. बाद में उन्हें जेल भेज दिया गया था. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने से पहले अर्नब की जमानत याचिका को बॉम्बे कइ कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया था. ऐसे में उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया.

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