चींटी में खून, दिल और फेफड़े तीनों ही नहीं होते फिर जिंदा रहती है, जाने कैसे

कहते हैं इस धरती पर जितना वजन इंसानों का है उतना ही चीटियों का भी है। इसका मतलब ये हुआ कि पृथ्वी पर चीटियों की तादाद सबसे अधिक है। चीटियों के शरीर की संरचना भी इंसानों की तुलना में काफी अलग होती है।
यदि आप ने नोटिस किया हो तो चीटियों के अंदर खून नहीं होता है। जाने अंजाने में यदि आप से चींटी मरी हो तो आप ने देखा होगा कि उसके अंदर से कोई भी खून नहीं निकलता है। ऐसे में क्या आप ने कभी सोचा है कि ये चींटियाँ बिना खून के जिंदा कैसे रहती हैं? आईए जानते हैं।
दरअसल चीटियों के अंदर न तो खून होता है और न ही दिल होता है। हार्ट मुख्य रूप से बॉडी में खून के शोधन और पंपिंग का काम करता है। इसलिए ये चीटियों के अंदर नहीं पाया जाता है। एक और दिलचस्प बात ये है कि चीटियों के अंदर फेफड़े भी नहीं होते हैं।
अब आप में से कई लोग सोच रहे होंगे कि ये चींटीयां बिना दिल और फेफड़े के जिंदा कैसे रहती होगी। दरअसल चीटियों के अंदर खून की बजाए Haemolymph नाम का पदार्थ होता है। इसी पदार्थ के जरिए चींटीयां जीवित रहती है। ये पदार्थ शरीर के ऊतकों को पोषण देने का काम करता है।
इस Haemolymph नामक पदार्थ को चीटियों के दिमाग तक पहुंचाने के लिए दिल की बजाए ‘डोर्सल एओर्ट’ (dorsal aorta) नाम का एक छोटा सा पंप होता है। इस Haemolymph पदार्थ के जरिए ही चींटी के पूरे शरीर को ऑक्सीजन मिलता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अकशेरुकी जीवों (बिना हड्डी वाले) में एक विशेष प्रकार का रंगहीन तरल पदार्थ होता है जिसे Haemolymph कहा जाता है। हालांकि कुछ जीवों में ये कलरफूल भी होता है ऐसे में उसे हीमोसाइएनिन कहा जाता है। यही चीज शरीर में पोषक पदार्थ प्रवाहित करती है।
वहीं ऑक्सीजन लेने के लिए चींटी की बॉडी में फेफड़े की बजाए खोखले ट्यूब्स होते हैं। यह खोखले ट्यूब्स इनके पूरे शरीर में फैले होते हैं। हवा में उपस्थित ऑक्सीजन चींटी इन्हीं ट्यूब में भरती है। यही वजह है कि इंसानों के मुकाबले चींटी की कभी सांस नहीं भर्ती है और वह मनुष्य की तुलना में अधिक वजन उठा लेती है।
चीटिंयों के शरीर में बने इन छोटे-छोटे छिद्रों या ट्यूबों को ट्रेकिया (Trachea) कहा जाता है। ये आकार में स्पिरेकल होते हैं। तो अब आप जान गए हैं कि चींटी बिना दिल, खून और फेफड़े के जिंदा कैसे रह लेती हैं।