धार्मिक

इस मंदिर में प्रसाद के तौर पर बांटे जाते हैं सोने के सिक्के और गहने, सदियों से चल रही है ये प्रथा

आज हम आपको भारत के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां पर भक्तों को प्रसाद के रूप में मिठाई नहीं बल्कि गहने दिए जाते हैं। भारत का ये अनोखा मंदिर मध्य प्रदेश में है और इस मंदिर का नाम मां महालक्ष्मी मंदिर है। इस मंदिर में आने वाले भक्त मंदिर में विशेष प्रसाद चढ़ाते हैं। ये मंदिर रतलाम शहर के माणक चौक में स्थित है।

मध्य प्रदेश के मालवा में स्थित रतलाम शहर को स्वर्ण नगरी के नाम से जाना जाता है। ये मंदिर हजारों साल पुराना है। दीपावली के दिन इस मंदिर में खास मेले का आयोजन भी किया जाता है और मंदिर को अच्छे से सजाया जाता है। इस दिन मंदिर की सजावट नकदी, सोने-चांदी के सिक्के, आभूषण और अन्य कीमती चीजों से की जाती है।

लगता है कि कुबेर का दरबार


मां महालक्ष्मी मंदिर मेें कुबेर का दरबार लगाया जाता है। इस दरबार में आने वाले भक्तों को प्रसाद स्वरूप गहने और रुपये-पैसे दिए जाते हैं। कुबेर का ये दरबार दीपोत्सव के दौरान लगाया जाता है।

इस दरबार में आने वाले भक्त प्रसाद के तौर पर रुपये और नकदी भगवान को चढ़ाते हैं। दीपावली के दिन इस मंदिर के कपाट 24 घंटे खुले रहते हैं और धनतेरस के दिन कुबरे का दरबार लग जाता है।

होता है दीपोत्सव का आयोजन

इस मंदिर में धनतेरस से लेकर पांच दिनों तक दीपोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस दौरान मां महालक्ष्मी के मंदिर में  भक्तों की भीड़ उमड़ जाती है। भक्तजन यहां आकर पूजा करते हैं और दीपक जलाते हैं। इतना ही नहीं मंदिर को फूलों से नहीं बल्कि भक्तों द्वारा चढ़ाए गए गहनों और रुपयों से सजाया जाता है। इस दौरान मंदिर में आने वाली महिलाओं को कुबेर की पोटली दी जाती है।

दशकों से चल रही है ये परंपरा

मंदिर में गहनें और रुपयों को चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। कहा जाता है कि इस परंपरा को यहां पर रहने वाले एक राजा ने शुरू किया था। राज्य की समृद्धि के लिए राजा मंदिर में धन और गहने चढ़ाया करते थे। तभी से ये परंपरा शुरू हुई है और लोग मंदिर में आकर जेवर, पैसे माता को चढ़ाया करते हैं और इन्हें ही प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है।

मान्यता है कि जो भक्त मंदिर में धन और गहने चढ़ाते हैं उनके घर में लक्ष्मी मां की कृपा बन जाती है। यहीं वजह है कि दूर-दूर से लोग इस मंदिर में आकर कीमती चीजों को चढ़ाते हैं।

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