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कभी गली गली में जाकर साड़ी बेचता था ये शख्स, आज है करोड़ों की प्रॉपर्टी का मालिक

आज से तकरीबन 4 दशक पहले साइकिल पर साड़ियों के गट्ठे बांधकर गली गली घूमने वाले बिरेन बसाक आज 50 करोड़ रूपए के संपत्ति के मालिक हैं। बिरने कुमार बसाक को आप शायद ही जानते होंगे।  बता दें कि बिरेन के नाम एक अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है, दरअसल उन्होंने 6 गज की साड़ी में रामायण के सातों कांड उकेर दिए थे। इस वजह से वे पूरे देश में एक ख्याति प्राप्त शख्स हैं।

खैर, गरीबी में पले बढ़े बिरेन के मजबूत इरादे और जज्बे ने उन्हें बुलंदियों के शिखर तक पहुंचा दिया। कड़ी मेहनत और अथक परिश्रम से आज बिरेन 50 करोड़ रूपए के मालिक के कंपनी हैं। ऐसे में आज हम आपको इनकी सफलता के पीछे के राज के बारे में बताने वाले हैं।

जानिए बिरेन बसाक के संघर्ष की पूरी कहानी

लगातार अपने मेहनत और सफलता के दम पर  शिखर तक पहुंचने वाले बिरेन कुमार बसक ने अपनी पूरी कहानी खुद बयां की है। उन्होंने इस बात का जिक्र किया है कि आखिर कैसे उनकी सफलता रंग लाई और वह बुलंदियों के शिखर तक पहुंचे।

बिरेन बताते हैं कि खुद का बिजनेस खोलने का सपना बहुत पुराना था और मैंने अपने इस सपने को पाने के लिए भरसक कोशिश की। मैंने जो भी मेहनत की, वो कभी बेकार नहीं हुई और आज मेरी मेहनत पूरी रंग ला रही है। बिरने के अनुसार उन्होंने अपने साड़ी का बिजनेस साल 1987 में शुरू किया था।

बिरेन कहते हैं कि जब मैंने दुकान शुरू की तो उस समय मेरे साथ महज कुछ लोग ही काम करते थे। मगर मैं धीरे धीरे मेहनत करता गया और मेरा बिजनेस बढ़ता ही चला गया। बिरेन बताते हैं कि आज हमारे कंपनी में हाथ से बनी हुई 16000 साड़ियां हर महीने पूरे देश में बिकती हैं। बिरेन की कंपनी में तकरीबन 5000 बुनकर आज एक साथ काम करते हैं।

गरीबी में गुजरा पूरा बचपन

बता दें कि बिरेन कुमार बसाक की पूरी जिंदगी काफी गरीबी में गुजरी, उनका जन्म एक बुनकर परिवार में हुआ और उनके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो अपने परिवार का अच्छे से पालन पोषण कर सकें। पिता के पास सिर्फ 1 एकड़ की जमीन थी और उसी से वो अपने परिवार का खाना खर्चा चलाते थे।

बिरेन के पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो बिरेन की पढ़ाई करा पाते, ऐसे में वो भी अपने परिवार के साथ बचपन से ही साड़ी बुनने का काम करने  लगे। बताया जाता है कि बिरेन कोलकाता के नादिया जिले में एक बुनकर के यहां महज 2.5 रूपए में साड़ी बुनने का काम किया करते थे।

लोन लेकर शुरू किया था बिजनेस

बिरेन ने तकरीबन 8 सालों तक मजदूरी का काम किया और इसके बाद उनके दिमाग में अचानक बिजनेस करने का ख्याल आया। बिरेन ने अपना घर 10 हजार रूपए में गिरवी रखा और अपना बिजनेस शुरू किया था। घर गिरवी रख दिया था तो उन्होंने अपने बिजनेस में अपने भाईयों को भी रख लिया।

बिरने अपने  भाईयों के साथ कोलकाता में साड़ी का कारोबार करने लगे। कुछ सालों तक तो बिरेन का बिजनेस कामचलाऊ ही चलता रहा। मगर धीरे धीरे बिजनेस आगे बढ़ता गया, इसके पीछे की वजह सिर्फ कठिन मेहनत थी। इसके बाद एक समय आया, जब बिरेन कुमार बसाक और भाईयों ने महीने में 50 हजार रूपए की कमाई करने लगे।

राष्ट्रीय पुरस्कार से हो चुके हैं सम्मानित

साड़ी कारोबारी बिरेन कुमार बसाक ने एक बार 6 गज की साड़ी बुनी थी और इस साड़ी में उन्होंने रामायण के सातों खंड उकेरे थे। इस महान और अनोखे कार्य के लिए ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ने बिरने को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया।

बता दें कि बिरेन कुमार बसाक को इस महान कार्य को करने के लिए 1 साल से भी अधिक का समय लगा था। ये साड़ी साल 1996 में बनकर तैयार हुई थी। उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड, इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और वर्ल्ड यूनीक रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज है। यही नहीं बल्कि उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार, नेशनल मेरिट सर्टिफिकेट अवॉर्ड और संत कबीर अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।

भाई से अलग होकर गांव में शुरू किया बिजनेस

बिरने कुमार बसाक और उनके भाईयों की साझेदारी ज्यादा दिन तक नहीं चल सका। जैसे ही टर्नओवर 1 करोड़ रूपए तक पहुंचा, बिरेन अपने भाईयों से अलग हो गए और अपने गांव लौट आए। बिरेन ने अपने भाईयों से अलग होकर खुद का एक बिजनेस गांव में शुरू कर दिया।

उन्होंने अपनी कंपनी का नाम बिरेन बसाक एंड कंपनी रखा। उन्होंने बुनकरों से साड़ी खरीदने और बेचने का काम होलसेल रेट पर शुरू कर दिया। उनका बिजनेस लगातार आगे बढ़ता गया और बिरेन सफलता की सीढ़ियां चढ़ते ही चले गए। आज उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर तकरीबन 50 करोड़ रूपए का है। यही नहीं बिरेन की कंपनी आज लोगों को रोजगार भी देती है।

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