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25 नवंबर को है तुलसी विवाह, जानें इस विवाह का महत्व व इससे जुड़ी पौराणिक कथा

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी विवाह आता है। इस साल तुलसी का विवाह 25 नवंबर के दिन आ रहा है। हर साल धूमधाम से तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से किया जाता है। तुलसी विवाह करने से एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि वृंदा नाम की पतिव्रता स्त्री को भगवान विष्णु से विवाह करने का वरदान मिला था। विवाह के लिए वृंदा ने तुलसी का स्वरुप लिया था और विष्णु जी ने शालिग्राम (पत्थर) का। जिसके बाद तुलसी और शालिग्राम का विवाह हुआ।

राजस्थान में तुलसी विवाह को ‘बटुआ फिराना’ के नाम से जाना जाता है। वहीं कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवउठनी एकादशी भी आती है और इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से बाहर आ जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है और फिर भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह करवाया जाता है। तुलसी के विवाह के साथ ही मुंडन, उपनयन संस्कार, शादी जैसे मांगलिक कार्य का प्रारंभ भी होता है।

विवाह करवाने से मिलते हैं कई फल

  • एकादशी के दिन तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह करवाना बेहद ही शुभ माना जाता है। जो लोग इनका विवाह इस दिन करवाते हैं उनकी हर कामना पूरी हो जाती है।
  • इतना ही नहीं जिन लोगों का विवाह होने में परेशानी आ रही होती है। अगर वो तुलसी का विवाह करवाते हैं, तो उनका विवाह जल्द हो जाता है।
  • जिन लोगों की कोई बेटी नहीं है अगर वो तुलसी का विवाह करवाते हैं तो उनको कन्यादान का पुण्य मिल जाता है।
  • सच्चा जीवन साथी पाने के लिए लड़कियां तुलसी का विवाह जरूर करवाएं।

विवाह की विधि

तुलसी का विवाह विधि के साथ किया जाता है। शाम के समय ये विवाह होता है। विवाह हेतु तुलसी के पौधे को अच्छे से सजाया जाता है। पौधे के चारों ओर ईख का मण्डप बनाया जाता है और उसके ऊपर ओढ़नी या सुहाग की प्रतीक चुनरी अर्पित की जाती है।

गमले को साड़ी में लपेटकर तुलसी को चूड़ी पहनाकर उनका श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद भगवान गणेश की पूजा की जाती है और शालिग्राम जी का विधिवत पूजन किया जाता है। श्रीतुलसी जी की षोडशोपचार पूजा ‘तुलस्यै नमः’ मंत्र का जाप कर विवाह की शुरूआत की जाती है।

भगवान शालिग्राम की मूर्ति का सिंहासन हाथ में लेकर तुलसी जी की सात परिक्रमा कराई जाती है। इसके बाद आरती गाकर विवाह को संपन्न किया जाता है। इसके बाद तुलसी की विदाई की जाती है।

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