बिहार-झारखंड में महिलाएं मांग में क्यों लगाती है नारंगी सिंदूर? भगवान राम से जुड़ा है कनेक्शन
हर शादीशुदा महिला का मांग भरना महत्वपूर्ण माना जाता है। कहते हैं कि यदि एक शादीशुदा महिला मांग ना भरे तो उसे अपशकुन माना जाता है। मान्यता है कि, मांग भरने से पति की आयु बढ़ती है, स्त्री के सौभाग्य में वृद्धि होती है और मांग भरना एक परंपरा भी है। इसके अलावा भी मांग भरने के कई वैज्ञानिक कारण बताए जाते हैं।
वैसे तो ज्यादातर महिलाएं अपनी मांग में लाल रंग का ही सिंदूर लगाती है, लेकिन बिहार झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में कुछ ऐसी भी जगह है जहां पर महिला नारंगी और गुलाबी रंग का सिंदूर अपनी मांग में लगाती है। इस सिंदूर को भखरा सिंदूर के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं यहां पर नारंगी सिंदूर लगाने का कारण क्या है?
क्यों लगाती है महिलाएं मांग में सिंदूर
सबसे पहले तो हम यह जान लेते हैं कि आखिर भारतीय महिलाएं अपनी मांग में सिंदूर क्यों लगाती है? दरअसल, सिंदूर लगाने की परंपरा का प्रमाण रामायण काल में मिलता है। कहते हैं कि माता सीता हर रोज श्रृंगार के साथ-साथ अपनी मांग में सिंदूर लगाया करती थी। जब हनुमान जी ने माता सीता से इसके पीछे का कारण पूछा तो उन्होंने हनुमान जी को बताया था कि, भगवान राम को सिंदूर पसंद है और वे इससे खुश होते हैं।
वह जितनी बार सीता की मांग में सिंदूर देखते हैं उतनी ही बार उनका मन प्रफुल्लित हो जाता हैं और इसी प्रसन्नता से शरीर स्वस्थ रहता है और स्वस्थ रहने से व्यक्ति की आयु बढ़ती है। इसके अलावा माता सीता ने बताया कि मांग में सिंदूर भरने से पति की उम्र भी बढ़ती है। माता सीता के मुख से इस तरह की बातें सुन हनुमान जी प्रसन्न हो गए और इसके बाद उन्होंने भी अपने पूरे शरीर को नारंगी रंग से रंग लिया। बता दें इसके बाद ही सुहागिनों में सिंदूर लगाने का प्रचलन भी शुरू हो गया।
झारखंड और बिहार जैसे हिस्सों में क्यों लगाया जाता है भखरा सिंदूर?
जैसा कि ज्यादातर महिलाएं लाल सिंदूर का प्रयोग करती है, लेकिन झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भखरा सिंदूर का इस्तेमाल किया जाता है। यहां मान्यता है कि इस सिंदूर का इस्तेमाल करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं।
पुरानी कथाओं के अनुसार जब हनुमान जी को इस बात का पता चलता है कि सिंदूर लगाने से भगवान श्रीराम प्रसन्न होते हैं तो उन्होंने अपने शरीर पर नारंगी सिंदूर लगा लिया था। ऐसे में यदि महिलाऐं भी इस रंग का इस्तेमाल करती है खुद स्वयं भगवान इससे प्रसन्न होंगे।
नारंगी सिंदूर लगाने का ये भी एक कारण है
दरअसल, मार्केट में कई तरह के रंग होते हैं। वही लाल रंग केमिकल युक्त होता है जबकि नारंगी सिंदूर प्राकृतिक व शुद्ध होता है। गुलाबी रंग और नारंगी नेचुरल तरीके से तैयार किया जाता है। इसके अलावा नारंगी सिंदूर की तुलना सूर्योदय के समय होने वाली लालिमा से भी की जाती है। ज्यादातर शादी रात को शुरू होती है और सुबह-सुबह खत्म होती है।
ऐसे में सुबह-सुबह सूर्य से मिलता जुलता नारंगी रंग काफी शुभ संकेत लाता है और उम्मीद की जाती है कि जिस तरह से सूर्य की किरणें सुबह लोगों के मन में दिव्य ऊर्जा और खुशहाली भर देती है। ठीक उसी प्रकार यह नारंगी सिंदूर भी एक दुल्हन की जिंदगी में खुशियां लेकर आएगा।
महिलाएं नाक तक क्यों भारती है सिंदूर?
यदि आप गौर करेंगे तो देख पाएंगे कि झारखंड और बिहार की महिलाएं ज्यादातर नाक तक सिंदूर लगाती है और इसके पीछे भी कई तरह की मान्यता बताई जाती है। कहा जाता है कि नाक तक लंबा सिंदूर लगाने से पति की उम्र लंबी होती है और यह पति की सफलता का प्रतीक भी माना जाता है।
इसके अलावा यदि कोई स्त्री नाक तक सिंदूर लगाती है तो पति को उसके कार्यक्षेत्र में उन्नति प्राप्त होती है। इसलिए बिहार और झारखंड की महिलाएं नाक तक सिंदूर लगाती है। बता दे, उत्तराखंड में भी कई महिलाएं लंबी मांग भरना पसंद करती है।