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गोपाष्टमी के दिन जरूर करनी चाहिए गाय की पूजा, कृष्ण काल के समय से जुड़ी है पौराणिक कथा

गोपाष्टमी का पर्व आज धूमधाम से मनाया जा रहा है। गोपाष्टमी के दिन गौ माता की पूजा की जाती है और गौ माता का व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि गोपाष्टमी का व्रत रखने से व इस दिन गौ मां का पूजन करने से 33 करोड़ देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन जो लोग गौ माता की सेवा करते हैं, उनको पुण्य की प्राप्ति भी होती है।

गोपाष्टमी शुभ मुहूर्त

गोपाष्टमी शनिवार, 21 नवंबर को रात 9 बजकर 48 मिनट से शुरू होगी। जो कि 22 नवंबर रात 10 बजकर 51 मिनट पर खत्म होगी। इसलिए 22 नवंबर को गोपाष्टमी मनाई जाएगी।

गोपाष्टमी मनाने से एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार भगवान कृष्ण जी को गौमाता से काफी लगाव था और उनके पास कई सारी गाए थे। कृष्ण जी जब 6 वर्ष के हुए तो उन्होंने माता यशोदा से कहा कि मैय्या अब मैं बड़ा हो गया हूं। कृष्ण जी की ये बात सुनकर मैय्या यशोदा बोली अच्छा लल्ला अब तुम बड़े हो गए हो, तो बताओ अब क्या करना है। कृष्ण जी ने मैय्या यशोदा से हंसते हुए कहा कि अब हम बछड़े चराने नहीं जाएंगे, अब हम गाय चराएंगे।

मैय्या ने कहा बाबा से पूछ लो। कृष्ण जी फौरना नन्द बाबा के पास गए और उनसे कहा कि बाबा मैं अब गाए चराऊंगा। बाबा ने उनसे कहा कि लाला अभी तुम बहुत छोटे हो अभी तुम बछड़े ही चराओ। लेकिन कृष्ण जी नहीं मानें और कहने लगे की बाबा अब मैं बछड़े नहीं गाय ही चराऊंगा। जिसके बाद बाबा ने एक पंडित जी को बुला और गौ चारण का मुहूर्त निकले को का। पंडित जी ने पंचांग देख नन्द बाबा को कहा कि आज का ही मुहूर्त निकल रहा है। इसके बाद तो एक वर्ष तक कोई मुहूर्त नहीं है। पंडित जी की बात सुन कर नन्द बाबा ने कृष्ण जी से कहा कि लाल तुम आज से ही गौ चारण शुरू कर दो। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष अष्टमी से कृष्ण जी ने गौ-चारण आरम्भ कर दिया और हर साल इस दिन गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा।

इस तरह से करें गाय की पूजा

गोपाष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नान करें। उसके बाद रसोई घर की अच्छे से सफाई करें। गाय के लिए खीर और रोटी बनाएं। इसके बाद गाय-बछड़ों की पूजा करें। गाय-बछड़ों को तिलक लगाएं और आरती उतारें। फिर गाय को खीर और रोटी खिलाएं। आप चाहें तो गाय-बछड़ों को हरी घास भी खिला सकते हैं।

इस दिन पूजा करने के बाद गौमाता की परिक्रमा भी करें और उन्हें कुछ दूर तक टहलाने भी जाएं। ऐसा करने से मनोवांछित फल प्राप्त होता है। गौमाता की पूजा करने के बाद चरण रज को माथे पर लगाएं, ऐसा करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।

इस दिन जितना हो सके उतनी गाय की सेवा करें। साथ में ही घर के आंगन में गाय के गोबर से रंगोली भी बनाएं। गाए के गोबर से रंगोली बनाना शुरू होता है और ऐसा करने से घर में सकारात्कम ऊर्जा का प्रवेश होता है।

भूलकर भी ना करें ये काम

  • गोपाष्टमी के दिन गाय को तंग ना करें।
  • कई लोग गाय को मारते हैं जो कि गलत होता है। ऐसा करने से पाप चढ़ता है।
  • इस दिन मांस व इत्यादि चीजों का सेवन ना करें।

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