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तो इस तरह हमें लूटती है सरकार, जानिए क्यों 25 रुपये के पेट्रोल के हम देते हैं 80-90 रुपये

हमारे देश में पट्रोल-डीजल का जिस तेजी के साथ इस्तेमाल किया जाता है, उतनी ही बड़ी राशि का इसके लिए भुगतान भी करना होता है. 135 करोड़ की आबादी वाले हमारे देश में पेट्रोल-डीजल का बहुत बड़ा व्यापार होता है. अगर यह सस्ता भी होता है तो कभी 5 पैसे, कभी 10 पैसे, कभी 20 पैसे या कभी 50 पैसे जिसका व्यक्तिगत रूप से हमें कोई फायदा नहीं पहुंचता है. क्योंकि यह इतनी बड़ी रकम नहीं होती है कि जिससे हम राहत की सांस ले सके.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में गिरावट दर्ज की जाती है, इसके बावजूद हमें इसका फायदा नहीं मिल पाता है. बहुत कम रुपयों में मिलने वाला यह पेट्रोल-डीजल टैक्स आदि लगने के बाद हमें काफी महंगे दामों पर बेचा जाता है. जब आप पेट्रोल-डीजल की असल कीमत जानेंगे तो आप भी अपने दांतों तले ऊंगलियां चबा लेंगे, आइए जानते हैं आखिर कैसे 25 रुपये में मिलने वाला पेट्रोल हमें 80-90 रु तक के दाम में बेचा जाता है.

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की बात करें तो दिल्ली में ताज़ा जानकारी के मुताबिक़, अभी पेट्रोल का दाम है 81 रु 59 पैसे. इसका एक बड़ा हिस्सा केंद्र और राज्य सरकार के पास टैक्स के रूप में जाता है. आईओसीएल की आधिकारिक वेबसाइट में यह दर्शाया गया है कि फिलहाल दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल का बेस प्राइस यानी एक्स फैक्ट्री कीमत 25.37 रुपये है, इससे आगे बढ़कर इसमें फ्रेट (ढुलाई खर्च) शामिल कर लें तो यह राशि हो जाती है 25.73 रुपये.

आगे चले तो हम पाएंगे कि टैक्स के बिना डीलर्स को पेट्रोल के लिए चुकाने होते हैं 25.73 रुपये. इसमें अब एड कर दिए जाएंगे 32.98 रुपये एक्साइज ड्यूटी के रूप में. साथ ही राज्य सरकार का वैट 18.71 रुपये और डीलर का कमीशन 3.64 रुपये भी शामिल रहेगा. ऐसे में 25.37 रुपये वाले पेट्रोल की कुल कीमत हो गई 81.06 रुपये. बता दें कि ठीक यहीं फॉर्मूला डीजल के साथ भी लागू होता है.

भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक…

दुनियाभर में भारत कच्चे तेल के बड़े आयातक देशों में शुमार है. जानकारी के मुताबिक़, भारत आयात की मदद से खपत के 85 फीसदी हिस्से की भरपाई करता है. बताया जाता है कि जब भी क्रूड के दामों में वृद्धि दर्ज की जाती है तो भारत को नुकसान उठाना पड़ता है, वहीं इसमें गिरावट दर्ज होने पर भारत को इसका फ़ायदा मिलता है. जब तेल सस्ता होता है तो आयात में तो कोई कमी नहीं पड़ती है, हालांकि इससे देश के बैलेंस ऑफ ट्रेड में कमी देखने को मिलती है.

बैलेंस ऑफ ट्रेड में कमी का फायदा रुपये में मजबूती प्रदान करना है. इससे डॉलर को उतना फायदा नहीं पहुंचता है जितना कि भारतीय मुद्रा रुपये को पहुंचता है. इसका एक फ़ायदा यह भी हैए कि इस स्थिति में महंगाई पर भी लगाम लगाई जा सकती है.

कच्चे तेल की कीमत में एक डॉलर की कमी, पेट्रोल में 50 पैसे के बराबर…

पेट्रोल-डीजल आदि की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार के ऊपर निर्भर करती है. अगर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत में एक डॉलर की गिरावट दर्ज की जाती है, तो इसका असर यह होगा कि पेट्रोल के भाव में 50 पैसे की कमी आ जाएगी.

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