धार्मिक

हनुमान जी का अद्भुत मंदिर जहां की प्रतिमा खुद-ब-खुद दिन में 3 बार बदलती है स्वरूप, जानिए वजह

कलयुग में महाबली हनुमान जी एक ऐसे देवता हैं जो अपने भक्तों की भक्ति से सबसे शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी कलयुग में सबसे ज्यादा जागृत और साक्षात देव हैं। हनुमान जी अपने भक्तों के सारे दुख और संकट दूर करते हैं। इसी वजह से देश भर में हनुमान भक्तों की कोई कमी नहीं है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाबली हनुमान जी भगवान शिव जी के अंशावतार हैं। इसी कारण शिव जी की तरह ही हनुमान जी भी सबसे शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता माने जाते हैं।

वैसे देखा जाए तो देश भर में ऐसे बहुत से हनुमान मंदिर हैं, जहां पर भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। हनुमान जी के इन मंदिरों की अपनी कोई ना कोई विशेषता और खासियत है, जिसकी वजह से यह दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों में महाबली हनुमान जी के अद्भुत रूपों के दर्शन करने को मिलते हैं परंतु आज हम आपको हनुमान जी के एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जहां पर मौजूद प्रतिमा एक दिन में तीन बार अपना स्वरूप बदलती है।

आप सभी लोग शायद इस बात को सुनने के बाद आश्चर्यचकित जरूर हो गए होंगे। आपके मन में यही सवाल आ रहा होगा कि भला ऐसा कौन सा मंदिर है, जहां पर प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है परंतु जो जानकारी हम आपको बता रहे हैं यह बिल्कुल सच है। हनुमान जी का एक ऐसा प्राचीन और अद्भुत मंदिर है जहां की प्रतिमा खुद-ब-खुद 24 घंटे में तीन बार अपना रूप बदलती है।

आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के मंडला जिले से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर पुरवा गांव के पास स्थित एक जगह सूरजकुंड है। यहां नर्मदा नदी के तट पर हनुमान जी का यह अद्भुत और बेहद प्राचीन मंदिर मौजूद है, जहां पर भगवान के दर्शन करने के लिए भक्तों की तादाद बहुत ज्यादा रहती है। यहां पर भक्त मंदिर में स्थापित हनुमान जी की आदमकद प्रतिमा के दर्शन करने के लिए आते हैं। यह प्रतिमा 24 घंटे में तीन बार अपना रूप बदलती है, जिसको देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नर्मदा नदी तट पर भगवान सूर्य तपस्या किया करते थे। भगवान सूर्य जी की तपस्या में किसी भी प्रकार की विघ्न ना पड़े इसलिए उनके शिष्य हनुमान जी यहां पर पहरा देते थे। जब सूर्य देव की तपस्या पूरी हुई तो वह अपने लोक की तरफ जाने लगे और हनुमान जी को सूर्य देवता ने यहीं रुकने के लिए कह दिया था। इसके बाद से ही हनुमान जी यहां पर मूर्ति के स्वरूप में स्थित हैं।

हनुमान जी के इस मंदिर के पुजारी का ऐसा कहना है कि सुबह 4:00 बजे से 10:00 बजे तक मंदिर में स्थापित प्रतिमा बाल स्वरूप में होती है। प्रातः 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक प्रतिमा युवा स्वरूप में होती है और शाम 6:00 बजे से पूरी रात वृद्ध स्वरूप में हनुमान जी रहते हैं। यहां के स्थानीय लोगों और पुजारी का ऐसा बताना है कि यह पूरी घटना प्राकृतिक है और यह सब ईश्वर की मर्जी से घटना हो रही है। आखिर हनुमान जी की मूर्ति अपना स्वरूप कैसे बदलती है, इसका रहस्य अभी तक खुल नहीं पाया है।

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