किसानों के आंदोलन को खालिस्तानी एवं देश विरोधी ताकत ने किया हाईजैक,इस पर संजय राउत का बयान आया है
मुंबई : किसानों का तीन दिनों का आंदोलन आज चौथे दिन भी जारी है. जिस तरह से केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन आगे बढ़ रहा है, ठीक उसी तरह सियासी बयानबाजियां भी लगातार तेज होती जा रही है. केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ कांग्रेस ही नहीं बल्कि अन्य विपक्षी पार्टी भी हमलावर है.
किसान आंदोलन के सहारे अब भारतीय जनता पार्टी को शिवसेना ने आड़े हाथों लिया है. शिवसेना के जाने-माने नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने इसे लेकर मोदी सरकार पर बड़ा बयान दिया है.
हाल ही में किसानों को दिल्ली-हरियाणा को जोड़ने वाले सिंघु बॉर्डर पर रोका गया है, जिस पर राउत ने कहा है कि, अन्नदाताओं के साथ जिस तरह का व्यवहार किया जा रहा है, उससे ऐसा लग रहा है कि वे आतंकवादी हैं. यह किसानों का अपमान है. कोई उन्हें खालिस्तानी आतंकी तक कह रहा है.
आप सब को बता दें की इन किसानों की कथाकथित आंदोलन में खालिस्तान समर्थक, PFI के गुंडे, और शाहीन बाग़ के ड्रामेबाज़ भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं
दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के रोके जाने के बारे में राउत ने कहा है कि, ”जिस तरह से किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोका गया है, ऐसा लग रहा है कि जैसे वे इस देश के हैं ही नहीं. उनके साथ आतंकवादियों जैसा व्यवहार किया गया है. चूंकि वे सिख हैं और पंजाब और हरियाणा से आए हैं, इसलिए उन्हें खालिस्तानी कहा जा रहा है. यह किसानों का अपमान है.”
The way farmers have been stopped from entering Delhi, it looks like as if they don’t belong to this country. They have been treated like terrorists. Since they are Sikh&have come from Punjab&Haryana, they’re being called Khalistani. It is insult to farmers:Sanjay Raut, Shiv Sena pic.twitter.com/XaE529oZUL
— ANI (@ANI) November 29, 2020
गौरतलब है कि बीते दिनों केंद्र सरकार की ओर से तीन नए कृषि बिल संसद में पेश किए गए थे. इस दौरान विपक्ष की ओर से काफी हंगामा देखने को मिला था. दोनों सदनों से मंजूरी मिलने के बाद कृषि बिलों पर राष्ट्रपति ने भी मुहर लगा दी थी. इसके बाद ये बिल कानून के रुप में तब्दील हो गए थे.
केंद्र सरकार कई बार कह चुकी है कि ये कानून किसानों के हित में है, जबकि विपक्ष और किसान यह मानने को राजी नहीं है. इनके विरोध में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के किसान भारी मात्रा में एकत्रित होकर 26 नवंबर से दिल्ली-हरियाणा की सीमाओं पर डटे हुए हैं. इन किसानों में खालिस्तान समर्थक, PFI के गुंडे, और शाहीन बाग़ के ड्रामेबाज़ भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं