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कोरोना के कारण टूट गई प्रकाश पर्व से जुड़ी 95 वर्ष की परंपरा, नहीं देखने को मिली पहले जैसी रौनक

श्री गुरु नानक देव जी की जंयती के दिन प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया जाता है और इस पर्व को लेकर हर गुरुद्वारे को अच्छे से सजाया जाता है। इस पर्व के दिन गुरुद्वारों को रोशनी से चमकाया जाता है और भक्त गुरुद्वारे में कीर्तन करते हैं। हालांकि इस बार कोरोना का असर प्रकाश पर्व पर भी पड़ा है और इस साल ये पर्व सादगी के साथ ही मनाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित जटाशंकर गुरुद्वारे में 95 वर्षों से चली आ रही परंपरा कोरोना के कारण टूट गई है।

 

हर साल प्रकाश पर्व पर इस गुरुद्वारे में नगर कीर्तन निकाला जाता है। लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार नगर कीर्तन नहीं निकाला गया। ऐसा करने से पिछले 95 वर्षों से चली आ रही परंपरा टूट गई है। नगर कीर्तन के अलावा इस बार लोग पंगत में बैठकर संगत लंगर का भी हिस्सा नहीं बन सकेंगे।

सोशल डिस्टेंसिंग के तहत किया गया कीर्तन 

सोमवार को गुरुद्वारा परिसर में सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए शबद कीर्तन का आयोजन किया जाएगा। जटाशंकर गुरुद्वारा प्रबंध समिति ने सबसे पहले गुरुद्वारे को पूरी तरह से सैनिटाइज करवाया और उसके बाद कीर्तन का आयोजन किया गया। श्रद्धालुओें की संख्या पर भी ध्यान रखा गया और कम ही लोगों को कीर्तन में हिस्सा लेने दिया। परिसर का सैनिटाइजेशन कराया गया है और थर्मल स्कैनिंग के बाद ही श्रद्धालु को परिसर में प्रवेश करने दिया गया। साथ में ही मास्क लगाना अनिवार्य रखा गया।

नहीं हो पाया लंगर छका

इस पर्व के दिन लोगों को एक साथ बैठाकर लंगर खिलाया जाता था। लेकिन हजारों वर्षों की यह परंपरा भी कोरोना संकट की वजह से टूट गई है और लोगों को इस वर्ष पैक्ड लंगर बांटने का फैसला किया है।

गौरतलब है कि सिख धर्म के पहले गुरु नानक देव जी की जयंती हर साल कार्तिक पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस बार गुरु नानक देव जी की जयंती 30 नवंबर को है। गुरु नानक जी की जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान हर गुरुद्वारे को अच्छे से सजाया जाता है और कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। हालांकि कोरोना के कारण इस साल प्रकाश पर्व को धूमधाम से नहीं मनाया जा सका है।

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