धार्मिक

मंत्र जाप की माला में क्यों होते हैं 108 मनके, इसके पीछे जुड़ा है धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

शास्त्रों में अनगिनत मंत्रों का उल्लेख किया गया है। इन मंत्रों को बेहद ही चमत्कारी माना जाता है और इनका जाप करने से तमाम दुखों से मुक्ति मिल जाती है। शास्त्रों में मंत्रों के जाप से जुड़े नियमों का उल्लेख भी किया गया है और इन नियमों के अनुसार ही मंत्रों का जाप करने से फल की प्राप्ति होती है।

मंत्रों का जाप आमतौर पर माला पर किया जाता है। मंत्रों का जाप करने के लिए कई तरह की माला का प्रयोग किया जाता है। सभी मालाओं में 108 मनके व दाने होते। दरअसल शास्त्रों में 108 संख्या का काफी महत्व है और यही वजह है कि माला में 108 दाने होते हैं और ज्यादातर मंत्रों का जप 108 बार किया जाता है।

शास्त्रों के अलावा वैज्ञानिक में भी 108 संख्या को महत्वपूर्ण माना गया है। शास्त्रों के अनुसार माला के 108 मनकों का संबंध हमारी सांसों से होता है। शास्त्रों के मुताबिक 24 घंटों में से 12 घंटे मनुष्य अपने कार्यों में व्यस्त रहता है और शेष 12 घंटों में मनुष्य को भगवान का नाम लेना चाहिए। शेष 12 घंटों में व्यक्ति लगभग 10800 सांस लेता है। लेकिन एक दिन में 10800 बार मंत्रों का जाप नहीं किया जा सकता है। इसलिए इस संख्या के पीछे से 00 को हटाकर जाप की संख्या 108 रखी गई है। एक दिन में हर मनुष्य को 108 बार भगवान का नाम लेने चाहिए। इस तर्क की वजह से ही माला में मनको की संख्या भी 108 होती है।

वैज्ञानिक महत्व

वैज्ञान में भी 108 संख्या का काफी महत्व है। वैज्ञानिकों के अनुसार एक वर्ष में सूर्य 216000 कलाएं बदलता है। छह माह उत्तरायण रहता है और छह माह दक्षिणायन रहता है। इस तरह से छः माह में सूर्य की कलाएं 108000 बार बदलती हैं। इस संख्या के अंत से तीन शून्य को हटा दिया जाए तो 108 संख्या हासिल होती है। शास्त्रों में 108 मनको को सूर्य की कलाओं का प्रतीक भी माना गया है।

मंत्रों का जाप करने के लिए कई तरह की मालों का इस्तेमाल किया जाता है। हिंदू धर्म में मंत्र जाप के लिए तुलसी, रुद्राक्ष स्फटिक आदि जैसी मालाओं का उल्लेख किया गया है। किन मालाओं पर किन भगवानों के मंत्रों का जाप किया जाता है उसकी जानकारी इस प्रकार है।

  • कमल गट्टे की माला को माता लक्ष्मी की उपासना के दौरान इस्तेमाल की जाती है और इस माला पर भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप भी किया जाता है।
  • वैजयंती की माला वैजयंती के बीजों से बनी होती है और इस माला पर सूर्य देव और शनि के मंत्रों का जाप किया जाता है।
  • तुलसी की माला पर विष्णु, राम और कृष्ण भगवान से संबंधित मंत्रों का जप किया जाता है।
  • चंदन की माला पर मां दुर्गा के मंत्रों का जाप किया जाता है।
  • रुद्राक्ष की माला पर शिव भगवान के मंत्रों का जाप करने का नियम है।
  • हल्दी की माला पर पीताम्बरा देवी मां बगलामुखी, भगवान गणेश और बृहस्पति देव के सभी मंत्रों का जप कर सकते हैं।

मंत्रों का जाप करते समय रखें इन बातों का ध्यान

  • मंत्रों का जाप हमेशा शुद्ध होकर ही करें। मंत्रों का जाप करते हुए आपके हाथ और पैर एकदम साफ होने चाहिए।
  • किसी भी मंत्र का जाप करते समय अपने सामने एक दीपक जरूर जलाएं।
  • मंत्र का जाप करने के बाद माला को मंदिर में रख दें। कभी भी मंत्र जपने वाली माला को गंदी जगह पर ना रखें।
  • समय-समय पर माला को साफ करते रहें।
  • जिस माला के मनके खराब व टूटे हुए हों, उसका प्रयोग मंत्र जप के लिए ना करें।
  • खंडित माला को पीपल के पेड़ के नीचे रख आए या पानी में प्रवाहित कर दें।

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