बॉलीवुड

कभी 30 रूपए लेकर मुंबई आए थे देव आनंद, रेलवे स्टेशन पर गुजारी रातें, फिर ऐसे बने सुपरस्टार

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता रहे देव आनंद का नाम हिंदी सिनेमा में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. आज देव आनंद हमारे बीच तो नहीं है, लेकिन वे अपनी फ़िल्में, किस्सों और जिंदादिली के दम पर याद किए जाते हैं. आइए आज आपको मशहूर अभिनेता देव आनंद की कुछ ख़ास बातों से अवगत कराते हैं.

आज इस लेख में हम आपको उनसे जुड़ें कुछ मशहूर किस्से बताएंगे. आप जानेंगे कि आखिर क्यों उनके काला कोट पहनने पर रोक लगा दी गई, देव आनंद ने किससे शादी की थी, फिल्मों में आने से पहले देव आनंद की स्थिति क्या थी, उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को क्या दिया, उन्हें कितने अवार्ड्स मिलें और आखिरकार जिस देव आनंद पर लाखों लड़कियां मरती थी वे किस पर अपना दिल हार बैठे थे आदि बातों के बारे में. तो चलिए एक-एक कर इन बातों का सिलसिला शुरु करते हैं…

कब और कहां हुआ जन्म…

दिग्गज अभिनेता रहे देव आनंद का जन्म साल 1923 में 26 दिसंबर को पंजाब के गुरदासपुर जिले में हुआ था. बताया जाता है कि नन्हीं उम्र से ही उन्हें एक्टिंग से प्यार हो गया था और बड़े होकर वे इसी में करियर बनाने का सपना देखने लगे थे. पंजाब में जन्में देव आनंद की पढ़ाई लाहौर से पूरी हुई और उनके पिता वकील थे. पैसे के चलते वे अपनी इच्छा के अनुसार अपनी पढ़ाई पूरी नहे कर सके. फिर उन्होंने बॉलीवुड की ओर रुख किया.

1946 में हम एक हैं फिल्म से डेब्यू…

23 साल की उम्र में देव आनंद ने हिंदी सिनेमा में अपने कदम रख दिए थे. साल 1946 में उनके करियर में वह मोड़ आया जब उनकी पहली बॉलीवुड फिल्म आई थी. इस फिल्म का नाम था हम एक है. यह प्यारेलाल संतोषी की फिल्म थी. इसके दो साल बाद शहीद लतीफ की फिल्म जिद्दी में वे लीड एक्टर के रूप में देखे गए. फिल्म के गाने काफी हिट रहे थे.

मुंबई आए तो जेब थे महज 30 रुपए…

शुरु से ही देव आनंद को पैसों की तंगी का सामना करना पड़ा था और इसी के चलते वे अपनी पढ़ाई भी पूरी नहीं कर सके थे. वे फिल्म इंडस्ट्री में करियर बनाने के लिए जब मायानगरी मुंबई आए थे तो उनकी जेब में हज 30 रुपए थे. ऐसे में उनका आगे का रास्ता और भी मुश्किल हो गया. वे रेलवे स्टेशन पर रात गुजारा करते थे, जबकि खाने का इंतजाम भी मुश्किल से हुआ करता था.

मुंबई आने के बाद इस तरह की दिक्कतों से बचने के लिए देव आनंद ने कोई काम करने की ठानी और फिर कई कोशिशों के बाद देव आनंद मिलिट्री सेंसर ऑफिस में लिपिक की नौकरी करने लगे. यहां उनका काम यह था कि वे सैनिकों की चिट्ठियों को उनके परिवार को पढ़कर सुनाया करते थे.

कई हिट फिल्मों में किया काम…

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता देव आनंद ने फिल्म इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक हिट फ़िल्में दी है. बॉलीवुड में उनका करियर काफी सफ़ल रहा है और अपने करियर में उन्होंने 100 से अधिक हिंदी फिल्मों में काम किया है. यूं तो उनके खाते में कई हिट फ़िल्में आई है, लेकिन जिन फिल्मों पर दर्शकों ने भरपूर प्यार लूटाया उनमें गाइड, हरे कृष्णा हरे राम, देस परदेस, ज्वेल थीफ और जॉनी मेरा नाम शीर्ष में शुमार हैं.

निर्देशन में भी आजमाया हाथ…

एक बेहतरीन अभिनेता होने के साथ ही देव आनंद निर्देशक के रूप में भी पहचाने गए. बॉलीवुड में खुद को पूरी तरह से स्थापित करने के बाद साल 1950 में देव आनंद ने अपनी पहली फिल्म अफसर का निर्माण किया. इसके बाद उन्होंने अपने बड़े भाई चेतन आनंद को यह बड़ी जिम्मेदारी दे दी. अगले साल 1951 में उनके बैनर तले बाजी फिल्म आई. इसके निर्देशक थे गुरुदत्त. इस फिल्म ने देव आनंद को एक बड़े अभिनेता का दर्जा दिला दिया.

कई अवॉर्ड् किए अपने नाम…

हिंदी सिनेमा में देव आनंद के योगदान को देखते हुए उन्हें कई प्रतिष्ठित ख़िताबों से भी नवाजा गया है. देव साहब को साल 1991 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा गया था. वहीं इसके बाद 2001 में उन्हें पद्म भूषण दिया गया. जबकि 2002 में उन्हें हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया.

इस एक्ट्रेस से हुआ प्यार, लेकिन नानी ने कर दिया इंकार…

बॉलीवुड में किसी भी कलाकार को मोहब्बत होना आम बात है और देव आनंद ने भी मोहब्बत की. देव आनंद के जमाने की अदाकारा सुरैया और देव आनंद दोनों एक-दूसरे के काफी करीब आ गए थे. बताया जाता है कि देव आनंद अपनी फिल्म अफसर के निर्माण के दौरान अभिनेत्री सुरैया को पसंद करने लगे थे.

इस फिल्म के एक गाने की शूटिंग हो रही थी और देव आनंद और सुरैया की नाव पानी में डूब गई थी, ऐसे में देव आनंद ने सुरैया की जान बचाई. इसके बाद सुरैया भी देव आनंद के प्यार में पड़ गई. लेकिन उनकी नानी के इंकार के चलते दोनों अपने प्यार को नहीं पा सके.

कल्पना कार्तिक से किया विवाह, निर्माता के रूप में भी बनाई पहचान…

देव आनंद ने अपने समय की मशहूर एक्ट्रेस रही कल्पना कार्तिक से विवाह किया था. दोनों कलाकारों ने साल 1954 में विवाह कर लिया था. वहीं आपको बता दें कि अभिनेता और निर्देशक होने के साथ ही देव आनंद एक अच्छे निर्माता के रूप में भी पहचाने जाते हैं. निर्माता के रूप में उन्होंने अफसर के अलावा हमसफर, टैक्सी ड्राइवर, हाउस न. 44, फंटूश, कालापानी, काला बाजार, हम दोनो, तेरे मेरे सपने, गाइड और ज्वेल थीफ आदि फ़िल्में बनाई.

कोर्ट पहनने पर लगा दिया बैन…

इस किस्से से आप देव साहब के स्टारडम को भली-भांति समझ सकेंगे. उनके काल कोट की लड़कियां दीवानी हुआ करते थी. गर्दन झुकाने का वो गजब अंदाज, काली पैंट शर्ट का उनका लिबास लड़कियों के दिलों पर राज करता था. अभिनेता को इस अवतार में देखकर लड़कियां पागल हो जाया करती थी.

देव साहब से प्रभावित होकर उन दिनों सफेद शर्ट पर काला कोट पहनने का स्टाइल बहुत ट्रेंड में था. लेकिन आगे जाकर सार्वजनिक जगहों पर काला कोट पहनना प्रतिबंधित कर दिया गया. देव साहब का स्टारडम चाहे कुछ सालों का रहा हो लेकिन उन्होंने गजब की सफलता हासिल की. आज भी उनके किस्से फिल्म इंडस्ट्री में मशहूर है. कई लड़कियां तो देव साहब के प्यार में इस कदर पागल हुई कि उन्होंने अपनी जान तक देव साहब के लिए कुर्बान कर दी.

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