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सांसद आजम खान के बेटे को वापस करने होंगे 65 लाख रुपए, बतौर विधायक वेतन के रूप में मिली थी ये राशि

उत्तर प्रदेश सरकार ने समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम के खिलाफ सख्त कार्यवाही करते हुए, उनको बतौर विधायक के रूप में मिली वेतन वापस करने को कहा है। इस आदेश के तहत अब्दुल्ला आजम को विधायक के रूप में जो भी वेतन व भत्ता दिया गया है। वो सरकार को वापस करना होगा। आकलन के अनुसार अब्दुल्ला आजम को सरकार को कुल 65 लाख रुपए वापस करने है।

गलत जानकारी देने का चलते उठाया गया ये कदम

अब्दुल्ला आजम ने साल 2017 में स्वार सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था और इस सीट पर जीत दर्ज की थी। इस सीट से चुनाव लड़ने से पहले इन्होंने जो नामांकन पत्र चुनाव आयोग में दायर किया था। उसमें गलत जानकारी भरी थी। चुनाव आयोग ने जांच में पाया है कि इन्होंने अपने नामांकन पत्र में गलत जानकारी दी थी। आयोग के अनुसार अब्दुल्ला की आयु संबंधी जानकारी गलत थी। आयु की गलत जानकारी देने के कारण इनपर केस किया गया था। इस केस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर 2019 को अब्दुल्ला आजम की विधायकी रद्द कर दी थी।

हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद विधानसभा सचिवालय ने भी स्वार सीट को रिक्त घोषित कर दिया था। विधायकी रद्द की जाने के बाद बीजेपी के नेता आकाश सक्सेना ने प्रमुख सचिव विधानसभा को एक पत्र लिखा था और मांग की थी कि जो भी वेतन व भत्ता इनको बतौर विधायक के रूप में दिया गया है। उसे वापस लिया जाए।

आकाश सक्सेना की ओर से की गई इस मांग के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य लेखा अधिकारी अनुज कुमार ने अब्दुल्ला आजम को नोटिस जारी किया है। 2 दिसंबर 2020 को अब्दुल्ला आजम को जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि अब्दुल्ला आजम ने 14 मार्च 2017 से 16 दिसंबर 2019 तक जो भी वेतन व भत्ते प्राप्त किए हैं, उसकी रकम सरकारी कोष में जमा करवा दें।

इस नोटिस के अनुसार अब्दुल्ला आजम को 65 लाख रुपए जमा करने के आदेश दिया गया है। इनको तय सीमा के अंदर ये पैसे सरकार को वापस देने होंगे। अगर ये तय सीमा के अंदर ये पैसे वापस नहीं करते हैं तो इनके खिलाफ आगे की कार्यवाही की जा सकती है।

गौरतलब है कि किसी भी चुनाव को लड़ने से पहले नामांकन पत्र भरना होता है। नामांकन पत्र में नाम, आयु, संपत्ति, शिक्षा व इत्यादि तरह की जानकारी भरी जाती हैं। अगर नामांकन पत्र में कोई जानकारी गलत भरी जाती है तो नामांकन पत्र भरने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही करने का प्रवाधान है।

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