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12 साल में कंगाल हो गए छोटे अंबानी, भाई मुकेश की नाराज़गी से शुरू हो गया था अंत

आज जिस मुकाम पर रिलायंस प्रमुख मुकेश अंबानी है, शायद उस मुकाम पर उनके छोटे भाई अनिल अंबानी भी हो सकते थे. हालांकि अनिल अंबानी का भाई मुकेश से विवाद, उनके कुछ गलत फ़ैसले उन्हें अर्श से फर्श पर ले आए हैं. आज जहां मुकेश अंबानी दुनिया के 10 सबसे रईस लोगों में अपना स्थान रखते हैं, तो वहीं अनिल अंबानी दौलत के मामले में पूरी तरह से कंगाल हो चुके हैं. आइए जानते हैं कि आखिर अनिल अंबानी का यह हश्र हुआ कैसे.

फ़ोर्ब्स ने इस साल जब दुनिया के 2 हजार अरबपतियों की सूची जारी की थी, तो उस सूची में अनिल अंबानी का नाम नहीं था. कभी देश के तीन सबसे रईस लोगों में अपना नाम शुमार कारा चुके अनिल अंबानी धीरे-धीरे अपने लालच के चलते गर्त में समा गए. आज वे पैसे के लिए मोहताज है. जब पिता के निधन के बाद दोनों भाईयों के बीच व्यवसाय का बंटवारा हुआ तो शुरू में सब कुछ ठीक था, हालांकि धीरे-धीरे अनिल को नुक़सान होने लगा.

अनिल अंबानी के हिस्से में जो भी कंपनी या जो भी व्यापार आया उसे वे अपने खराब प्रबंधन के चलते आगे नहीं बढ़ा पाए और उन्हें यह खामियाजा भुगतना पड़ा कि कई कंपनियां दिवालियां घोषित हो गई. वे बैंकों से लिया गया लोन नहीं चुका सके. कर्ज ने अनिल अंबानी को बुरी तरह से जकड़ लिया था.

अनिल की राजनीति में एंट्री, नाराज हुए मुकेश अंबानी

साल 2004 में अनिल अंबानी ने राजनीती में प्रवेश किया. वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा तक पहुंचे. हालांकि मुकेश अंबानी को छोटे भाई का राजनीति में कदम रखना रास नहीं आया. मुकेश चाहते थे कि उनके पिता द्वारा खड़ा किया गया रिलायंस का व्यापर निष्पक्ष रूप से काम करें. इसी साल दोनों भाईयों के बीच का मतभेद मीडिया के गलियारों तक पहुंच गया.

मां ने सुलझाया दोनों भाईयों का झगड़ा…

जब मुकेश और अनिल का झगड़ा बढ़ने लगा तो मां कोकिलाबेन को इसके लिए आगे आना पड़ा. दोनों भाईयों को पिता धीरूभाई अंबानी की दौलत का बंटवारा किया गया. इसके बाद साल 2005 में टेलीकॉम, इंफ्रांस्ट्रक्चर और फाइनेंशियल सेवाओं का व्यापार अनिल अंबानी को सौंपा गया.

अनिल ने ड्रीम वर्क्स को 83.5 करोड़ डॉलर में खरीदा…

व्यापार बंटवारे के बाद दोनों ही भाई अपने-अपने काम में व्यस्त थे और दोनों ही अच्छा काम कर रहे थे. अनिल 2006 से 2008 तक देश की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर बोली में व्यस्त रहे. इसके अंतर्गत मेट्रो ट्रेन, कोयला संबंधित प्रोजेक्ट, दादरी में गैस आधारित मेगा पावर प्रोजेक्ट आदि शामिल रहें. वहीं इस दौरान अनिल ने हॉलीवुड फिल्ममेकर स्टीवन स्लीपवार्ग की कंपनी ड्रीम वर्क्स को 83.5 करोड़ डॉलर में खरीद लिया.

रिलायंस पावर से चमकी अंबानी की किस्मत…

रिलायंस पावर ने अनिल अंबानी किस्मत चमका दी थी और वे मुकेश अंबानी की दौलत के समीप तक जा पहुंचे थे. यह साल 2007 का समय था, जब दोनों भाई की संपत्ति में कोई ख़ास अंतर नहीं रह गया था. अनिल ने इस साल रिलायंस पावर के शेयर्स को बिक्री के लिए उपलब्ध कराया. अधिक प्रीमियम होने के बावजूद उनकी किस्मत की गाड़ी चल पड़ी और उन्हें काफी फ़ायदा पहुंचा. हालांकि इसके बाद वे धीरे-धीरे असफलता की ओर अग्रसर होते गए.

अनिल की कंगाली के उदाहरण…

अनिल अंबानी की कंगाली के कई उदाहरण हैं. साल 2017 में रिलायंस कम्यूनिकेशन ने वायरलेस व्यापर बंद कर दिया. वहीं 2019 में रिलायंस कैपिटल ने अपना म्यूचुअल फंड व्यापर भी बेच दिया. इसके बाद साल 2020 की शुरुआत में रिलायंस पवार पर 685 करोड़ रु का कर्ज होने की जानकारी सामने आई और कंपनी इसे चुकाने में नाकाम रही. जिससे कि उसे दिवालिया घोषित कर दिया गया. वहीं उनकी कंपनी रिलायन्स इंफ्रा भी लगभग 150 करोड़ रु का कर्ज नहीं चुका पाई.

अनिल अंबानी को उस समय बहुत बड़ा झटका लगा था, जब यस बैंक ने अनिल अंबानी ग्रुप के मुख्य कार्यालय को अपने कब्जे में ले लिया था. यस बैंक द्वारा यह कदम जुलाई 2020 में उठाया गया था. अनिल अंबानी यस बैंक का 2900 करोड़ रु का कर्ज नहीं चुका सके थे.

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