धार्मिक

2021 में इन 3 राशियों पर रहेगी शनि की साढ़ेसती, बचने के लिए करना होंगे ये उपाय

शनिदेव को न्याय का देवता भी कहा जाता है। व्यक्ति जीवन में जैसा कर्म करता है उसे शनिदेव वैसा हि फल भी देते हैं। यदि कोई व्यक्ति अच्छे कर्म करता है तो उसे शनि की साढ़े साती या ढैया में भी अच्छे फल की प्राप्ति होती है। वैसे  ग्रहों और कुड़ली के अनुसार भी शनि ग्रह की गणना की अहमियत होती है।

शनि का राशिपरिवर्तन, शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि की महादशा ये सभी चीजें विभिन्न राशियों पर प्रभाव डालती है। हालांकि इस साल शनि देव कोई गोचर नहीं कर रहे हैं। वे 2020 में अगले ढ़ाई सालों के लिए धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में उपस्थित हैं।

शनिदेव यहां 2022 तक रहने वाले हैं। शनि भले राशि परिवर्तन न कर रहे हो लेकिन वे नक्षत्र परिवर्तन अवश्य करेंगे। वे सूर्य के नक्षत्र उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 20 जनवरी 2021 तक रहेंगे। ऐसे में मकर में प्रवेश के दौरान धनु राशि के लिए उतरती, मकर के लिए मध्य और कुम्भ राशि के लिए चढ़ती साढ़े साती रहेगी।

18 जनवरी 2023 तक शनिदेव मकर राशि में स्वगृही रहने वाले हैं। इस दौरान वे 30 अप्रैल 2022 से 9 जुलाई 2022 तक कुम्भ राशि में गोचर करने वाले हैं। यदि आप धनु, मकर या कुम्भ राशि में आते हैं तो शनि की साढ़ेसाती से घबराए नहीं। बुजुर्गों और गरीबों की सेवा करने और सभी का मान सम्मान कर आप शनिदेव को प्रसन्न कर सकते हैं।

शनि की साढ़ेसाती से बचने के लिए और भी कुछ आसान उपाय हैं। जैसे शनिवार को ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं शनैश्चराय नम:’ मंत्र का जप करना लाभकारी रहता है। इसके अतिरिक्त हर महीने अमावस्या आने से पहले घर व व्यापार स्थल की सफाई, धुलाई करने और वहां सरसों के तेल का दीपक जलाने से लाभ होता है।

साथ ही गुड़ व चने से बनी वस्तु हनुमान जी को भोग लगाकर उसे ज्यादा से ज्यादा लोगों में बांट दें। इसके अलावा शनि मृत्युंजय स्तोत्र, दशरथ कृत शनि स्तोत्र का 40 दिन तक रोज पाठ करें। ये सब उपाय कर आप शनि की साढ़ेसाती से बच सकते हैं।

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