पति की मृत्यु के बाद कुली बनकर 3 बच्चों की परवरिश कर रही हैं संध्या, भावुक कर देगी इनकी कहानी

आजकल के समय में महिलाओं को कमजोर माना जाता है लेकिन असल मायने में देखा जाए तो महिलाएं बहुत ज्यादा मजबूत होती हैं। अगर महिलाएं कुछ करने को ठान लें तो क्या नहीं कर सकतीं। आप लोगों ने ऐसी बहुत सी खबरों के बारे में सुना होगा, जहां पर महिलाएं कई क्षेत्रों में देश का नाम रोशन कर रहीं हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिसकी कहानी सुनकर आपकी आंखों में भी आंसू आ जाएंगे। दरअसल, यह कहानी 31 साल की संध्या मारावी की है।
आपको बता दें कि संध्या मध्य प्रदेश के कटनी रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करती है। संध्या को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है। जैसे कि आप लोग जानते हैं रेलवे स्टेशनों पर सामान ढोने के लिए पुरुष कुली ही दिखते हैं, वही बड़े रेलवे स्टेशनों पर महिला कुली देखने को मिल जाती है लेकिन संध्या समाज के बने बनाए स्टीरियोटाइप्स को तोड़कर अपना आजीविका चलाने के लिए कुली का काम कर रही हैं। संध्या को यह काम मजबूरी में करना पड़ रहा है।
पति की हो गई मृत्यु
संध्या मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के कुंडम गांव की रहने वाली हैं। संध्या के पति भोलाराम काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। अचानक ही साल 2016 में इनके पति का निधन हो गया, जिसके बाद इनके जीवन पर मानो दुखों का पहाड़ टूट गया। अपने पति के जाने के बाद यह अपना होश खो बैठीं। किसी तरह इन्होंने अपने आपको संभाला। संध्या के तीन बच्चे हैं। बच्चों के सिर से पिता का साया उठने के बाद सारी जिम्मेदारी संध्या के ऊपर आ गई। संध्या ने सोचा कि वह खुद काम करके अपने तीन बच्चों का पेट पालेंगी। संध्या मरावी का ऐसा कहना है कि बीमारी के चलते मेरे पति की मृत्यु हो गई। हमारे तीन बच्चे हैं। मेरे पति बीमार थे लेकिन इसके बावजूद भी मजदूरी करके घर चलाते थे। उनके जाने के बाद मेरे ऊपर सास और अपने तीन बच्चों की जिम्मेदारी आ गई।
तीन मासूम बच्चों के लिए कर रही हैं कुली का काम
संध्या का ऐसा का ऐसा कहना है कि सास और तीन बच्चों की जिम्मेदारी आने के बाद मुझे जो भी नौकरी मिली मैंने कर ली। संध्या ने आगे बताया कि मैं नौकरी की तलाश में थी। किसी ने मुझे बताया कि कटनी रेलवे स्टेशन पर कुली की जरूरत है, तो मैंने तुरंत ही आवेदन कर दिया। संध्या का ऐसा कहना है कि “मैं 45 पुरुष कुलियों के साथ काम करती हूं। पिछले वर्ष ही मुझे बिल्ला नंबर 36 मिला है।”
आपको बता दें कि संध्या के दो छोटे बेटे साहिल और हर्षित हैं और एक बेटी पायल है। पति के गुजर जाने के बाद संध्या ने अपने घर को संभाला। संध्या अपनी जॉब के लिए रोजाना 90 किलोमीटर (45 किमी जाना-आना) कर कटनी रेलवे स्टेशन पर आती हैं। बच्चों की देखभाल उनकी सास करती हैं। संध्या का ऐसा कहना है कि वह अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा कर अफसर बनाना चाहती हैं। उनका कहना है कि जिंदगी में चाहे जो हो जाए, वह हार नहीं मानेंगीं और अपने बच्चों की परवरिश में किसी भी प्रकार की कमी नहीं छोडेंगी।