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सूरत की मीना मेहता कुपोषित बच्चों को खिलाती हैं भरपेट खाना, कोई नहीं जाता इनके दरवाजे से भूखा

कोरोना वायरस की वजह से देशभर के लोगों को बहुत से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस कठिन समय में लोगों के सामने आर्थिक समस्या बेहद गंभीर बन चुकी है। भले ही लॉकडाउन खत्म हो गया लेकिन कोरोना वायरस की दहशत अभी भी बनी हुई है। ज्यादातर सभी लोग कोरोना वायरस की वजह से अपने घरों के अंदर ही समय व्यतीत कर रहे हैं। संकट की इस घड़ी में गरीब लोगों को बहुत अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ा परंतु ऐसा नहीं है कि इन गरीब और जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए लोग सामने नहीं आए, ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने कठिन समय में लोगों की सहायता की है। दुनिया में अभी भी ऐसे लोग हैं जो सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए जीना चाहते हैं।

आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो भूखे कुपोषित बच्चों और जरूरतमंद लोगों का पेट भर रही हैं। यह नेक काम सूरत की रहने वाली मीना मेहता कर रही हैं। आपको बता दें कि पिछले 8 सालों से कुपोषित बच्चों को भरपेट खाना खिला रहीं हैं इतना ही नहीं बल्कि यह गांव की और गरीब लड़कियों को मुफ्त में सैनिटरी नैपकिंस भी बांटती हैं। इसी वजह से यह “पैड वुमन” के नाम से भी मशहूर हैं।

मीना मेहता को लॉकडाउन के दौरान उनके काम से असली पहचान मिली थी। मीना मेहता का ऐसा बताना है कि कुपोषित बच्चों और बुजुर्गों को खाना खिलाने का ख्याल उन्हें उस समय आया जब उन्होंने पड़ोस में रहने वाली एक भिखारी बच्ची को देखा था। मीना मेहता ने बताया कि एक बार वह ऐसी गरीब मासूम बच्ची से मिली जिसके पिता उसकी भूख दबाने के लिए उसे तंबाकू खिलाते थे ताकि वह बच्ची खाना ना मांगे। मीना मेहता को उसकी बात सुनकर बहुत दुख हुआ। तभी से उन्होंने ऐसे बच्चों की सहायता करने का फैसला लिया और खाना बनाकर बांटने का काम शुरू किया।

मीना मेहता अपने पति अतुल के साथ मिलकर रोजाना करीब 200 कुपोषित बच्चों और जरूरतमंद बुजुर्गों को खाना खिलाती हैं। अगर उनके दरवाजे पर कोई भूखा गरीब इंसान आता है तो वह कभी भी भूखा वापस नहीं जाता है। मीना मेहता ने शुरुआती दौर में अपने पति के साथ मिलकर इस नेक काम की शुरुआत की थी। बाद में दूसरे लोगों को जब इस बात का पता चला तो वह भी उनका सहयोग देने लग गए थे। सभी लोग अपनी अपनी तरफ से आर्थिक सहायता करते थे, जिसके जरिए कुपोषित बच्चों को खाना उपलब्ध कराया जाता है।

मीना मेहता गांव की लड़कियों और कम पढ़ी-लिखी लड़कियों को सैनिटरी नैपकिंस का इस्तेमाल करने के लिए भी प्रेरित करती है ताकि वह लड़कियां किसी गंभीर बीमारी का शिकार ना हो जाएं। मीना मेहता पिछले 8 वर्षों से यह नेक काम कर रहीं हैं। उनका कहना है कि उनको इस काम से खुशी मिलती है। आपको बता दें कि मीना और उनके पति अतुल खाने की मात्रा से ज्यादा उसकी गुणवत्ता पर अधिक ध्यान देते हैं। यह दोनों ही मिलकर पौष्टिक भोजन बनाते हैं ताकि कुपोषित बच्चों और जरूरतमंद लोगों को ताकत मिले। मीना जी ने जो कदम उठाया है उसकी जितनी प्रशंसा की जाए उतनी ही कम है।

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