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आखिर कब है बसंत पंचमी? जानिए शुभ मुहूर्त, कथा और 10 महत्वपूर्ण बातें

हिंदू त्योहारों में से एक बसंत पंचमी भी है, जिसको ज्ञान, संगीत और कला की देवी सरस्वती जी का उत्सव माना गया है। पूरे देश में बसंत पंचमी का त्यौहार बड़ी ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। आपको बता दें कि बसंत पंचमी सर्दियों के मौसम के अंत का और बसंत के आगमन का प्रतीक होता है। बसंत पंचमी का त्यौहार ज्ञान की देवी सरस्वती जी को समर्पित है।

साल 2021 में बसंत पंचमी का त्यौहार 16 फरवरी यानी मंगलवार के दिन मनाया जाने वाला है। आपको बता दें कि बसंत पंचमी का त्यौहार हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती जी की विधि-विधान पूर्वक पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि यदि बसंत पंचमी पर मां सरस्वती जी की पूजा की जाए तो इससे बुद्धि का वरदान प्राप्त होता है।

हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का बहुत अधिक महत्व माना गया है। अगर हम शास्त्रों के अनुसार देखें तो, इसमें इस बात का जिक्र मिलता है कि बसंत पंचमी वाले दिन ही मां सरस्वती जी का जन्म हुआ था। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त, कथा और सरस्वती पूजा के दौरान क्या करें और क्या ना करें इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

जानिए बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त

बसंत पंचमी का आरंभ 16 फरवरी 2021, मंगलवार की प्रातः काल 3:00 बज कर 35 मिनट से है और बसंत पंचमी की समाप्ति 17 फरवरी 2021, बुधवार प्रातः काल 5:45 बजे पर है।

बसंत पंचमी के दिन इन बातों का रखें ध्यान

1. बसंत पंचमी के दिन सुबह उठकर आप अपने माता-पिता के पैर छुएं।

2. बसंत पंचमी के दिन आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि स्नान करने के बाद ही आप कुछ खाए-पिएं।

3. बसंत पंचमी के पवित्र त्यौहार वाले दिन आप पीले रंग के वस्त्रों का धारण करें।

4. बसंत पंचमी के पर्व पर वस्त्र, भोजन का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

5. बसंत पंचमी के दिन आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप किसी को भी गलत शब्द मत बोलिए।

6. बसंत पंचमी के शुभ दिन आप किसी भी प्रकार के वाद-विवाद से दूर रहें। इस दिन आप किसी के साथ लड़ाई-झगड़ा ना करें।

7. बसंत पंचमी के शुभ दिन आप मांस-मदिरा का सेवन भूलकर भी मत कीजिए।

8. बसंत पंचमी के दिन पितृ तर्पण किया जाता है।

9. बसंत पंचमी के दिन शारीरिक संबंध बनाने से दूर रहना होगा।

10. बसंत पंचमी के त्योहार पर आप पेड़-पौधों को ना काटे।

जानिए बसंत पंचमी की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार देखा जाए तो जब ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की थी तो उन्हें किसी चीज की कमी महसूस हुई थी, तब उन्होंने अपना कमंडल से जल निकाला और छिलका, जिसके पश्चात सुंदर स्त्री के रूप में एक देवी प्रकट हुई थीं, जिनके एक हाथ में वीणा, दूसरे हाथ में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथे हाथ में वर मुद्रा थी। यह सुंदर स्त्री कोई और नहीं मां सरस्वती ही थीं। बसंत पंचमी वाले दिन ही मां सरस्वती जी प्रकट हुई थीं। तब से ही सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाने लगी। बसंत पंचमी देवी सरस्वती जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। बसंत पंचमी का त्यौहार विशेष रूप से शिक्षण संस्थानों में मनाया जाता है, क्योंकि सरस्वती जी विद्या की देवी हैं।

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