बीमार पति को बचाने के लिए साड़ी पहने मैराथॉन दौड़ गई थीं लता खरे, कुछ ऐसी है उनकी कहानी
पति-पत्नी का रिश्ता सात जन्मों का रिश्ता माना जाता है। ऐसा बताया जाता है कि पति-पत्नी का रिश्ता एक ऐसा बंधन है जिसमें दोनों ही एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं और हर सुख-दुख में एक-दूसरे का साथ निभाते हैं। हमारे देश में ज्यादातर सभी महिलाएं अपने पति की सलामती के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती हैं। हमारे देश में महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। इतना ही नहीं बल्कि वट सावित्री में बरगद की पूजा भी करती हैं। भारतीय महिलाएं पति को हर मुसीबत से बचाने की प्रार्थना करती हैं। महिलाएं अपने पति की खुशी के लिए हर संभव प्रयास में लगी रहती हैं।
आज हम आपको इस लेख के माध्यम से एक ऐसी बुजुर्ग महिला के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिन्होंने अपने पति की जिंदगी बचाने के लिए 60 की उम्र में साड़ी पहनकर मैराथॉन दौड़ गई और उन्होंने इसमें जीत भी हासिल की। जिस उम्र में आमतौर पर आराम करने की सलाह दी जाती है। उस उम्र में अपने पति को बीमारी से बाहर निकालने के लिए मैराथॉन दौड़ में हिस्सा लिया और प्रथम पुरस्कार जीतकर पूरी दुनिया के सामने मिसाल पेश की। दरअसल, हम आपको जिस बुजुर्ग महिला के बारे में बता रहे हैं उनका नाम लता खरे है।
आपको बता दें कि लता खरे महाराष्ट्र के बारामती जिले के एक गांव के निवासी हैं और वह मैराथॉन रनर के नाम से प्रसिद्ध हैं। साल 2014 में कोई भी उनका नाम नहीं जानता था परंतु फिर कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने मैराथॉन में हिस्सा और उसमें वह जीती भी, जिसके बाद उनका नाम हर कोई जानने लगा। इतना ही नहीं बल्कि उनके नाम पर मराठी फिल्म “लता भगवान करे” भी बनी है, जो सभी के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है।
जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं 60 की उम्र एक ऐसा पड़ाव होता है जिसमें महिलाएं अपने पोते पोतियो को खिलाती हैं और आराम करती हैं परंतु इस उम्र में लता ने मैराथॉन की लंबी दौड़ में हिस्सा लिया था। मैराथॉन में हिस्सा लेने का लता का शौक नहीं बल्कि उसकी जरूरत थी। बता दें कि लता के पति काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह पति का इलाज करा सके। पैसा कमाकर अपने पति की जिंदगी बचाने के लिए लता ने यह कदम उठाया।
आपको बता दें कि लता ने अपने जीवन भर खेत में मजदूरी करके अपने घर को चलाया परंतु जब साल 2014 में महाराष्ट्र की लता खरे के पति की तबीयत अचानक खराब हो गई तो उनके ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। लता के पति का MRI स्कैन होना था, जिसके लिए ₹5000 की आवश्यकता थी परंतु इतनी बड़ी रकम उन्होंने पहले नहीं देखी थी। उनकी आर्थिक स्थिति ऐसे नहीं थी कि वह अपने पति का इलाज करा सके।
लता को गांव में किसी ने बताया था कि पास में मैराथॉन हो रही है और उसमें प्रथम आने पर मिलने वाले ₹5000 नकद के बारे में भी बताया था। लता को स्पोर्ट्स, दौड़ और मैराथॉन के बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं थी। परंतु वह किसी भी हाल में अपने पति की जिंदगी बचाना चाहती थीं और उन्होंने मैराथॉन दौड़ने का फैसला कर लिया। उन्होंने साड़ी चप्पल पहन कर हिस्सा लिया था।
जब लता मैराथॉन में दौड़ रही थीं तो बीच में ही उनकी चप्पल टूट गई थी लेकिन इसके बावजूद भी लता के कदम नहीं रुके थे, वह लगातार दौड़ती रहीं और उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया, जिसके बाद उनको पति के इलाज के लिए ₹5000 मिल गए थे। इसके बाद लता ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और उन्होंने आस-पास के क्षेत्रों के होने वाले कई मैराथॉन में हिस्सा भी लिया। वह साड़ी में कभी चप्पल तो कभी नंगे पांव दौड़ा करती थीं।