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इस तारीख को है शीतला षष्ठी व्रत, इस विधि से करें पूजा, इच्छाएं होंगी पूरी

हिंदू धर्म में शीतला षष्ठी व्रत का बहुत महत्व माना गया है। इस बार शीतला षष्ठी का व्रत 3 फरवरी को किया जाएगा। माघ माह में शुक्ल पक्ष के षष्ठी तिथि को शीतला षष्ठी व्रत किया जाता है। इस व्रत के प्रभाव से संतान सुख तथा दीर्घायु की प्राप्ति होती है। शीतला षष्ठी व्रत को मुख्य रूप से महिलाएं करती हैं। इस दिन माता शीतला की विधि विधान पूर्वक पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि अगर इस दिन व्रत किया जाए तो इससे मन को शीतलता प्राप्त होती है।

शीतला षष्ठी व्रत और पूजा करने से माता शीतला का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और माता रानी की कृपा से रोग विकार से छुटकारा मिलता है। अगर किसी को संतान प्राप्ति की इच्छा है तो उस महिला को शीतला षष्ठी व्रत जरूर करना चाहिए, इससे आपकी मनोकामना बहुत ही जल्द पूरी होगी। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से शीतला षष्ठी व्रत पूजा विधि और इसका महत्व क्या है? इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

शीतला षष्ठी व्रत पूजा विधि

  • शीतला षष्ठी व्रत के दिन भक्त शीतला माता की पूजन और अनुष्ठान करते हैं। इस दिन आप प्रातः काल जल्दी उठ जाएं और स्नान करने के पश्चात व्रत का संकल्प लीजिए।
  • शीतला षष्ठी व्रत के दिन आप लकड़ी के पटरे या चौकी पर सफेद रंग का कपड़ा बिछाया और उस पर शीतला माता की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित कीजिए।
  • शीतला माता की पूजा करने के लिए आप भी अपने लिए एक आसन बिछा लीजिए और शीतला माता जी की पूजा शुरू कीजिए।
  • आपको बता दें कि शीतला माता की पूजा करते समय विशेष सावधानी बरतनी बहुत ही जरूरी होती है। अगर आपको पूजा में किसी प्रकार के समस्या आ रही है तो आप किसी पुरोहित की सहायता ले सकते हैं परंतु आप पूजा के दौरान कोई भी गलती मत कीजिए।

शीतला षष्ठी व्रत में ये सावधानियां जरूर बरतें

  • शीतला षष्ठी व्रत के दिन आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि गर्म खाद्य पदार्थ का सेवन भूलकर भी मत कीजिए। इस विशेष दिन गर्म और ताजा पके हुए भोजन का सेवन पूरी तरह से निषिद्ध है।
  • आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि शीतला षष्ठी के एक दिन पहले रात को ही सारा भोजन हलवा, गुलगुले, रेवड़ी आदि तैयार करके रख लीजिए। इस विशेष दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है।
  • शीतला षष्ठी के दिन गर्म पानी से स्नान नहीं करना चाहिए। इस दिन आप ठंडे जल से ही स्नान कीजिए।

शीतला षष्ठी व्रत का महत्व

शीतला षष्ठी व्रत को लेकर शास्त्रों में उल्लेख मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार शीतला षष्ठी व्रत करने से दैहिक और दैविक ताप से छुटकारा प्राप्त होता है। इस व्रत को पुत्र प्रदान करने वाला माना गया है। इस व्रत को करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। शीतला षष्ठी का व्रत किया जाए तो चेचक रोग से सुरक्षा होती है। आपको बता दें कि देवी शीतला प्रकृति की उपचार शक्ति का प्रतीक है। शास्त्रों और हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी शीतला देवी दुर्गा और मां पार्वती का अवतार हैं। इनकी पूजा करने से कई बीमारियों से सुरक्षा होती है।

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