इस दिन मनाई जाएगी कालाष्टमी, भगवान भैरव की कृपा पाने के लिए करें ये काम

हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। माघ माह में कालाष्टमी 4 फरवरी दिन गुरुवार को पड़ रही है। कालाष्टमी के दिन भगवान शिव जी के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा अर्चना का विशेष विधान है।
आपको बता दें कि हिंदू देवताओं में भैरव का बहुत ही महत्व है। इन्हें काशी का कोतवाल भी कहा जाता है। शास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि शिव के रुधिर से भैरव की उत्पत्ति हुई थी। उसके पश्चात उक्त रुधिर के दो भाग हो गए। पहला बटुक भैरव और दूसरा काल भैरव। इन दो भैरवों की पूजा का प्रचलन है।
कालाष्टमी तिथि भगवान भैरव को समर्पित होने की वजह से इसको भैरवाष्टमी के नाम से भी लोग जानते हैं। इस दिन भक्त भगवान कालभैरव की पूजा अर्चना करने के साथ व्रत भी करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार देखा जाए तो रात के समय काल भैरव जी की पूजा की जाती है। कालाष्टमी काल भैरव भगवान की कृपा पाने के लिए सबसे श्रेष्ठ तिथि मानी गई है।
आज हम आपको इस लेख के माध्यम से कालाष्टमी तिथि प्रारंभ और समाप्ति समय, इस तिथि का क्या महत्व है और भगवान भैरव की कृपा पाने के लिए कौन से काम करना चाहिए? इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
जानिए कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त क्या है?
माघ मास कृष्ण अष्टमी तिथि- 4 फरवरी 2021 दिन गुरुवार
अष्टमी तिथि आरंभ- 4 फरवरी दिन गुरुवार रात्रि 12:07 से
अष्टमी तिथि समाप्त- 5 फरवरी दिन शुक्रवार 10:07 तक
भगवान काल भैरव की कृपा पाने के लिए इस विधि से करें पूजा
- भगवान शिव जी के रौद्र अवतार काल भैरव जी हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर कालाष्टमी के दिन सच्ची भक्ति, निष्ठा और नियम के साथ काल भैरव जी की पूजा की जाए तो इससे भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और काल भैरव की कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती है। कालाष्टमी तिथि के दिन आप अर्ध रात्रि में भगवान भैरव और मां दुर्गा जी की पूजा करें।
- कालाष्टमी के दिन शिव कथा पढ़ने और सुनने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
- कालाष्टमी का व्रत करने वाले लोगों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि व्रत वाले दिन फलाहार किया जा सकता है।
- कालाष्टमी का व्रत और पूजा करने के साथ ही भैरव चालीसा का पाठ करें। ऐसा माना जाता है कि भैरव चालीसा का पाठ करने से काल भैरव भगवान की विशेष कृपा भक्तों के ऊपर बनी रहती है।
- भगवान काल भैरव कुत्ते की सवारी करते हैं इसलिए कुत्ते को भगवान भैरव का वाहन माना गया है। आप कालाष्टमी के दिन कुत्ते को भोजन जरूर कराएं। इससे काल भैरव भगवान प्रसन्न होंगे।
जानिए कालाष्टमी का महत्व
कालाष्टमी तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण बताई जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त सच्ची भक्ति, निष्ठा और नियम के साथ भगवान काल भैरव की पूजा और व्रत करता है तो उसके जीवन के तमाम संकट दूर हो जाते हैं। भय और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। साधारण जन को भगवान कालभैरव के सौम्य रूप बटुक रूप की पूजा करनी चाहिए। काल भैरव भगवान का अत्यंत रौद्र रूप माना जाता है परंतु इसके बावजूद भी यह अपने भक्तों के लिए बहुत ही दयालु और कल्याणकारी बताए गए हैं।